Highlights
- भारत में नदी को पूजा जाता है लेकिन कर्मनाशा नदी से लोग दूर ही भागते हैं।
- माता सीता से झूठ बोलने के कारण फल्गु नदी को माता सीता ने गुस्से में आकर श्राप दे दिया था
नदियाँ जीवन रेखा का कार्य करतीं हैं। विश्व की सभी मानव सभ्यताएं नदी के किनारे ही विकसित हुई थी। नदी उद्योग धंधे, परिवहन, कृषि कार्य और पेयजल के लिए ज़रूरी है। लेकिन भारत की कुछ नदियाँ शोध का विषय बनी हुई हैं। भारत में नदियों की कुल संख्या 400 से अधिक है। उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, पूर्वी भारत हो या पश्चिमी भारत यहाँ तक कि पूर्वोत्तर भारत में भी नदियाँ भारत को सम्पन्न बनाने में जुटी हुई हैं।
नदी का बहता निश्छल जल कितना प्यारा लगता है। नदी किनारे बैठना और संगीत सुनना ज़िन्दगी की ख़्वाहिश होती है। नदी इंसना को आजाद रहने का संकेत देती है। नदी बता रही होती है कि दुख हो या सुख- कभी दिशा मत बदलो। नदी प्रकृति द्वारा प्राप्त बहुमूल्य वरदान समान है। नदी कभी रूकती नहीं बल्कि मुड़ जाती है। नदी को जहाँ कहीं भी लगे राह में बाधा है, वहाँ वह या तो बाधा को तोड़ती है या फिर बाधा से अलग राह पकड़कर चलती रहती है। भारत की कुछ नदियाँ अपने साथ अजब किस्से और घटनाएं समेटे हुए हैं। किस्से और घटनाएं ऐसे कि दिमाग घूम जाएगा।
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सरस्वती नदी
सरस्वती नदी ऐतिहासिक नदी है। कुछ लोग इस नदी को मिथक मानते हैं जबकि ऋग्वेद में सरस्वती नदी का जिक्र मिलता है। शोधकर्ताओं का मत है कि जहाँ सरस्वती थी वहाँ अब यमुना नदी बहती है। 900 ईस्वी के आसपास सरस्वती नदी सूखने लगी। सरस्वती नदी के सूखने का प्रभाव हड़प्पा सभ्यता पर भी पड़ा। ऐसा तर्क दिया जाता है कि सरस्वती सबसे पवित्र नदी थी, पवित्र नदी के विनाश से हड़प्पा का विनाश हुआ।
कर्मनाशा नदी
भारत में नदी को पूजा जाता है लेकिन कर्मनाशा नदी से लोग दूर ही भागते हैं। इस नदी को शापित माना जाता है। इस नदी के नाम में ही इसकी विशेषता छिपी हुई है। यदि आप इस नदी में स्नान करेंगे तो आपके कर्मों का नाश हो जाएगा। यही सोचकर आज भी लोग इस नदी के जल के प्रयोग से बचते हैं। यह नदी बिहार-उत्तर प्रदेश की सीमा पर बहती है और गंगा में मिल जाती है।
फल्गु नदी
ऐसा मत है कि माता सीता से झूठ बोलने के कारण फल्गु नदी को माता सीता ने गुस्से में आकर श्राप दे दिया था। उसी श्राप के कारण फल्गु नदी धरती के अंदर से बहती है। इसी कारण इस नदी को भू सलीला भी कहा जाता है। दरअसल राजा दशरथ के श्राद्ध के क्रम में फल्गु ने माता सीता से कुछ और भगवान श्रीराम से कुछ और बोल दिया था। फिलहाल इस नदी पर भारत का सबसे बड़े रबड़ डैम का निर्माण किया गया है। शायद सीता जी के श्राप से इस नदी को अब मुक्ति मिल जाए।
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बागमती नदी
6 जून 1981 के दिन बिहार के बदला घाट और धमारा घाट के बीच बने पुल से ट्रेन संख्या 416DN गुजर रही थी। ट्रेन ड्राइवर को पता नहीं था कि पुल क्षतिग्रस्त है और एकाएक ट्रेन के कुल सात डिब्बे बागमती में गिर गए। सभी डिब्बे में यात्री भरे हुए थे। इसमें कुल 800 लोगों की मौत हुई। तमाम कोशिश के बावजूद आज तक ट्रेन का एक भी डिब्बा बागमती नदी में नहीं मिला।
भारत में नदियों का जाल है। कई नदियाँ अपनी खास और मौलिक विशेषता के कारण चर्चा में बनी रहती हैं। माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटने के लिए जानी जाती है, लूनी नदी न तो समुद्र में मिलती है और न ही किसी बड़ी नदी में मिलती है बल्कि यह नदी कच्छ के रण में विलीन हो जाती है। दक्षिण भारत की ज्यादातर नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में मिलती है जबकि नर्मदा और ताप्ती नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई अरब सागर में मिल जाती है, इसके कारण रिफ्ट वैली से होकर बहना है।