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लाल चींटी की चटनी से लेकर ओडिशा के मैगजी लड्डू तक, इन चीजों को मिला GI टैग, जानिए क्या है इसका मतलब?

What Is GI Tag: आदिवासियों के द्वारा खाई जाने वाली लाल चींटी की चटनी से लेकर ओडिशा के मैगजी लड्डू तक खाने-पीने और कई खास चीजों को भारत में GI टैग मिल चुका है। आइये जानते हैं क्या होता है जीआई टैग और ये किसे और कैसे मिलता है?

Written By: Bharti Singh
Published on: July 15, 2024 14:46 IST
What Is GI Tag- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL What Is GI Tag

आजकल ओडिशा के मैगजी लड्डू की खूब चर्चा हो रही है। छेना और ड्राई फूट्स से तैयार मैगजी लड्डू को जीआई टैग (GI Tag) मिला है। इससे पहले ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासियों के द्वारा खाई जाने वाली लाल बुनकर चींटियों की चटनी को भी GI टैग मिल चुका है। यही नहीं महाराष्ट्र के अल्फांसो आम से लेकर पंजाब की लस्सी और कश्मीरी केसर से लेकर नागपुर के संतरे और कुल्लू के अखरोट तक कई चीजों को जीआई टैग मिल चुका है। हालांकि अब सवाल उठता है कि आखिर ये GI Tag क्या होता है और ये कैसे मिलता है?

क्या होता है GI Tag?

जीआई टैग (GI Tag) किसी क्षेत्र का अपना लोकल क्षेत्रीय उत्पाद होता है। जिससे उस क्षेत्र की पहचान जुड़ी होती है। जब वो उत्पाद देश-दुनिया में फेमस होने लगता है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिसे जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर (Geographical Indications) कहते हैं। इसे भौगोलिक संकेतक नाम से भी जाना जाता है।

कब शुरू हुआ GI Tag?

साल 1999 में पार्लियामेंट में उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण को लेकर एक अधिनियम पारित किया। जिसे इंग्लिश में  Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 कहा जाता है। इस अधिनियम को 2003 में लागू किया गया था। इसके तहत किसी क्षेत्र के खास प्रॉडक्ट्स को जीआई टैग देने की शुरुआत हुई। इसमें खेती से जुड़े उत्पाद शामिल होते हैं। हैंडीक्राफ्ट्स की चीजें शामिल होती हैं और खाद्य सामग्री को शामिल किया जाता है।

इन उत्पादों को मिल चुका है GI Tag

बनारस की साड़ी, मध्य प्रदेश की चंदेरी साड़ी, महाराष्ट्र सोलापुर की चद्दर, कर्नाटक का मैसूर सिल्क, तमिलनाडु का कांचीपुरम सिल्क, उत्तराखंड का तेजपात, बासमती चावल, दार्जिलिंग टी, तमिलनाडु का इस्ट इंडिया लेदर, गोवा की फेनी, उत्तर प्रदेश के कन्नौज का इत्र, आंध्र प्रदेश के तिरुपति का लड्डू, राजस्थान की बीकानेरी भुजिया, तेलंगाना के हैदराबाद की हलीम, पश्चिम बंगाल का रसोगुल्ला, मध्य प्रदेश का कड़कनाथ मुर्गा, कश्मीरी शॉल, कुर्ग का शहद और कुल्लू की चांदी तक कई चीजों को GI Tag मिल चुका है।

क्यों खास होता है GI Tag?

जीआई टैग का सर्टिफिकेट जब किसी चीज को मिल जाता है तो उसकी पहचान देश-दुनिया में होने लगती है। हालांकि इस टैग का उपयोग उस क्षेत्र के लोग ही कर सकते हैं। ये टैग 10 साल के लिए मिलता है जिसे रिन्यू कराया जा सकता है। जीआई टैग मिलने से प्रोडक्ट का मूल्य और वैल्यू दोनों बढ़ जाती हैं।

 

 

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