Girl Child Empowerment: आज नवरात्रि की अष्टमी है। देशभर में मातारानी की पूजा हो रही है और भक्तिमय माहौल है। आज कंजक बिठाई जाती हैं और लोग कन्या पूजन करते हैं। कन्याओं को भोग लगाया जाता है और उनका पूजन किया जाता है, लेकिन आज हमें बेटियों को पूजने के साथ-साथ सशक्त और बलवान बनाना भी जरूरी है। इसकी शुरुआत हमें अपने घर और आस-पास से करनी चाहिए। बेटियों को आगे बढ़ाने में मदद करें और उन्हें स्वस्थ-निरोगी शरीर दें। आज हम बेटियों की ओवरऑल हेल्थ और डेवलपमेंट की बात कर रहे हैं, जिसे मजबूत बनाना हर माता-पिता की जिम्मेदारी है।
सेल्फ डिफेंस सिखाएं- बेटियों को देवी का रूप कहा जाता है और उनकी पूजा की जाती है, लेकिन अब बेटियों को पूजने के साथ-साथ सशक्त बनाने की जरूरत है। लड़कियों के साथ रेप, छेड़खानी की न जाने कितनी घटनाएं होती हैं. हाल ही में मणिपुर जैसी घटना ने सभी हो हिलाकर रख दिया था। ऐसे में जरूरी है कि कन्याओं को सशक्त और मजबूत बनाएं। उन्हें सेल्फ डिफेंस सिखाएं और जरूरत पड़ने पर सही इस्तेमाल करना सिखाएं।
सेहतमंद बनाएं- लड़कियों के स्वास्थ को लेकर लोग काफी लापरवाह होते हैं। आज भी गांव देहात में लोग लड़का-लड़की में भेदभाव करते हैं, जो उनके खान-पान में भी दिखता है। 14-15 साल की उम्र में जब शरीर में हार्मोंस बदलते हैं तो लड़कियों की सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। अक्सर इस उम्र में लड़कियों के शरीर में खून की कमी हो जाती है। बेटियों को हेल्दी रखने के लिए उन्हें सही डाइट जरूर दें।
पढ़ाई में साथ दें- छोटे शहरों और गांव में लड़कियों की पढ़ाई का रेशियो अभी भी कम है। लड़कियों को शादी के बाद कौन सी नौकरी करनी है ये कहकर उनके अरमानों पर पानी फेर दिया जाता है। अगर आप कन्या पूजन करते हैं तो इन दिन से ये ठान लें कि बेटियों को जरूर पढ़ाना है। उन्हें भी आगे बढ़ने में मदद करनी है। उनकी पढ़ाई-लिखाई में भरपूर साथ दें और उनके पंखों को उड़ान भरने दें।
इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनाएं- लड़कों के मुकाबले लड़कियां इमोशनली थोड़ी कमजोर होती है। माता-पिता चाहें तो लड़कियों को मनसिक रूप से मजबूत बना सकते हैं। मुश्किल हालात से लड़ना सिखा सकते हैं। बढ़ती उम्र के साथ चुनौतियों को समझदारी से हैंडल करना सिखा सकते हैं।
खुलकर जीने की आजादी- असली कन्या पूजन यही है कि आप लड़कियों को खुलकर जीने के आजादी दें। उन्हें क्या पहनना है क्या बोलना है क्या खाना है इसकी आजादी होनी चाहिए। ऐसा माहौल दें कि बच्चे खुलकर आपसे बात कर सकें। बेटियों को उनके सपने पूरा करने में मदद करें। लड़कियों को आगे बढ़ाएं और हर काम में भागीदार बनाएं।