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International Yoga Day 2022: योग ने दी नई जिंदगी, मौत को छूकर वापस आए ये लोग

योग ने ना-जाने कितने लोगों को जीवनदान दिया है। दुनियाभर में लगभग 2 अरब लोग एक सर्वेक्षण के मुताबिक योग का अभ्यास करते हैं। योग से उन लोगों को भी नई ज़िंदगी मिली है, जो जीने की आस को भी छोड़ चुके थे।

Written by: Sweety Gaur @sweety_gaur
Published : June 19, 2022 16:40 IST
International Yoga Day
Image Source : FREEPIK International Yoga Day

Highlights

  • बलवंत राय ने योग से ठीक किया अपना ब्रेन ट्यूमर
  • सत्या बहन की जिद के आगे हारी बड़ी-बड़ी बीमारी

Yoga Day 2022: योगा अब हर इंसान की जरूरत बन चुका है। योग अभ्यास करने से हर व्यक्ति सेहतमंद और विभिन्न प्रकार के रोगों और अक्षमताओं से छुटकारा पा सकता है। योग को ध्यान लगाने के लिए एक मजबूत विधि के रूप में भी माना जाता है जो मन और शरीर को आराम देने में मदद करता है। दुनियाभर में लगभग 2 अरब लोग एक सर्वेक्षण के मुताबिक योग का अभ्यास करते हैं। 

योग से उन लोगों को भी नई ज़िंदगी मिली है, जो जीने की आस को भी छोड़ चुके थे। आज हम आपको उन लोगों के जीवन की कहानी बताने जा रहे हैं। जिन्होंने योग से ना केवल खुद को दोबारा पाया, बल्कि योग अभ्यास से अपनी गंभीर बीमारियों को भी ठीक करके दिखाया। 

मेडिकल साइंस ने खड़े किए हाथ तो बलवंत राय ने योग से ठीक किया ब्रेन ट्यूमर

फूलां निवासी बलवंत राय जिनकी उम्र लगभग 63 साल है, उनके जीवन में योग किसी चमत्कार से कम नहीं है। 6 महीने पहले बलवंत को अधरंग के दौरे पड़ने शुरू हुए थे। इतना ही नहीं बलवंत का एक हाथ, एक पांव और उनकी जुबान को लकवा मार गया था। जब इलाज के लिए बलवंत को डॉक्टर के पास ले जाया गया, तो उनके मस्तिष्क में दो गांठे यानी ट्यूमर पाया गया। अपने पिता की हालात देख दोनों बेटे सहम गए थे। 

लेकिन बलवंत के दोनों बेटों ने इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसने जैसा बताया वो वैसा-वैसा करते चले गए। डॉक्टरों ने इलाज करने के लिए तो कहा लेकिन जिंदगी बचाने की कोई गारंटी नहीं ली। निराश होकर दोनों बेटे अपने पिता बलवंत को घर ले आए। घर पहुंचकर बलवंत को पतंजलि आयुर्वेद संस्थान में दिखाया गया। जहां उन्हें योग करने की सलाह दी गई। साथ ही कुछ दवाई भी दी। 

दवाई ने अपना असर दिखाया साथ ही बलवंत ने अनुलोम-विलोम और कपाल-भाती का अभ्यास करना शुरू किया। योग के आगे बलवंत के ट्यूमर को हार माननी पड़ी और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिल गई।  

फरीदाबाद की सत्या बहन ने जिद से पाया नया जीवन, अब लोगों को सिखा रही हैं योगा

फरीदाबाद की सत्या की कहानी ने एक तरफ जहां लोगों को प्रेरणा दी, वहीं उनके दर्द की कहानी ने सभी की आंखे नम कर दी। सत्या 26 साल की थी, तब उन्हें यूट्रस कैंसर हुआ। डॉक्टर की सलाह पर छोटे-छोटे कई आपरेशन के बाद यूट्रस को निकालना पड़ा। इतना सब करने के बाद भी सत्या को अपनी पीढ़ा से राहत नहीं मिली।  फिर पाइल्स हुआ और शरीर को लकवा मार गया। 

इतनी सारी बीमारि होने का नतीजा ये हुआ कि सत्या खाट पर टिक गईं। सत्या की हालत देख हर कोई आस छोड़ चुका था। लेकिन सत्या के अंदर एक ज़िद थी, दोबारा खड़ा होकर दिखाने की। अपनी जिद को सत्या ने बाबा रामदेव के योग से हासिल किया। सत्या ना सिर्फ बीमारियों से जीतीं बल्कि स्वस्थ होकर अब हजारों लोगों को योग के सहारे जिंदगी जीना सिखा रही हैं। सत्या ने खाट पर पड़े-पड़े ही अनुलोम विलोम करना शुरु किया और अपनी बीमारियों को मात दी। 

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