Highlights
- 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है
- एक अमेरिकी फैशन ब्रांड ने पहली बार जेंडर के आधार पर छोटे बच्चों और बच्चियों के कपड़ों में परिवर्तन किया
International Day of the Girl Child: आज 11 अक्टूबर 2022 को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बेटियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। जिससे वे अपने समक्ष आने वाली हर तरह की चुनौतियों का सामना कर सके और अपने सपनों को उड़ान दे सके। सीधे तौर पर कहा जाए तो यह इस बात का संदेश है कि बेटी और बेटे को बराबर का अधिकार मिलना चाहिए। लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी है लिंग आधारित चुनौतियों का समाप्त होना। जिसका सामना बेटियों को जन्म के बाद से ही करना पड़ता है। जन्म के समय से ही लड़के और लड़कियों को कई चीजों में अंतर के साथ बांट दिया जाता है। जैसे कि लड़कों के लिए ब्लू तो लड़कियों के पिंक कलर। आखिर क्यों, किसने लड़के और लड़कियों के लिए तय किए अलग.अलग रंग और क्या है इसका कारण, जानते हैं इसके बारे में।
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लिंग के आधार पर रंगों का बंटवारा
जेंडर कलर पेयरिंग पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। लेकिन यह हमारे दिमाग की उपज नहीं है बल्कि यह अवधारणा फेंच फैशन की देन है। जिसका चलन धीरे-धीरे दुनियाभर में प्रचलित हो गया। इस प्रचलन को हमारे रूढ़िवादी समाज ने भी खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया। इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि एक समय वह भी था जब पिंक कलर को पुरुषत्व का प्रतीक माना जाता था। इसका कारण यह है कि गुलाबी रंग का निर्माण लाल रंग से होता है जोकि रक्त, युद्ध और ताकत का प्रतीक है। इसलिए पुराने रोमन सैनिकों के हेल्मेट पर लाल और गुलाबी रंग की कलगी होती है।
जब रंगों ने तय किया कार्य
कई रिपोर्ट के अनुसार प्रथम विश्वयुद्ध के समय एक ऐसी घटना हुई थी जिसमें इस स्टीरियोटाइप को तय किया गया। दरअसल, प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रोजगार के कई अवसर भी बने। इसमें नर्स, वेटर, सेक्रेटरी और टायपिस्ट आदि जैसी कई नौकरियां शामिल थीं। इन नौकरियों को व्हाइट कॉलर और ब्लू कॉलर के दर्जे में नहीं रखा जा सकता था। इसलिए इन्हें पिंक कॉलर जॉब्स का दर्जा मिला। इन्हें महिला प्रधान माना गया और इसी दौर के बाद से गुलाबी रंग को महिलाओं के लिए तय कर दिया गया।
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एक कारण ये भी
वहीं इन रंगों का ट्रेंड और अधिक बदला 1940 के दशक में। इस दौरान एक अमेरिकी फैशन ब्रांड ने पहली बार जेंडर के आधार पर छोटे बच्चों और बच्चियों के कपड़ों में परिवर्तन किया। इससे पहले बचपन में दोनों को समान कपड़े ही पहनाए जाते थे। लेकिन यह ब्रांड पहली बार दोनों के लिए अलग-अलग ड्रेसेज लाया, जिसमें लड़कियों की ड्रेसेज का रंग पिंक और लड़कों का ब्लू रखा गया। अमेरिकियों को ये ट्रेंड बेहद पसंद आया और देखते ही देखते पूरी दुनिया ने इसे फाॅलो करना शुरू कर दिया।
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अधिकार हमारा भविष्य
साल 2012 के बाद से 11 अक्टूबर के दिन को हर साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर साल इसे एक थीम के साथ मनाया जाता है। 2022 में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का थीम है अब हमारा समय है,हमारे अधिकार, हमारा भविष्य। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत एक गैर सरकारी संगठन प्लान इंटरनेशनल के प्रोजेक्ट के रूप में हुई थी। इस अभियान के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया। कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा और 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव को पारित किया। इसके लिए 11 अक्टूबर की तारीख तय की गई और 2012 के बाद से हर साल इसे मनाया जाता है।