अक्सर आपने खेलों में टाइम आउट शब्द सुना होगा, लेकिन विदेश में बच्चों को सुधारने और डिसिप्लेन सिखाने के लिए Time Out Technique का इस्तेमाल किया जाता है। बच्चों के संदर्भ में बात करें तो इसका मतलब है कि कुछ समय के लिए उनकी सारी एक्टिविटीज को बंद कर दिया जाता है। जब बच्चे कोई गलत व्यवहार करते हैं या फिर किसी बात को लेकर ज़िद करते हैं तो विदेशों में उन्हें टाइम आउट दे दिया जाता है। कई बार जब बच्चे ऐसा बर्ताव करते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए तो पैरेंट्स टाइम आउट देते हैं। विदेशों में तो ये तरीका काफी पॉपुलर है। हालांकि अब भारत में भी पैरेंट्स बच्चों को टाइम आउट देने लगे हैं। जानिए टाउम आउट को क्यों माना जाता है बेहतर तरीका?
क्या है टाइम आउट ?
छोटे बच्चे जिनकी उम्र 2 से 6 साल के बीच है उन्हें सुधारने या उनकी गलती के बारे में समझाने के लिए टाइम आउट दिया जाता है। ये एक बिहेवियर मोडिफिकेशन की एक्टिविटी है, जिसमें बच्चे को समझाने की कोशिश की जाती है। अगर आप बच्चे को पनिशमेंट देने के लिए टाइम आउट का इस्तेमाल करते हैं तो ये गलत है।
क्या है टाइम आउट का सही तरीका?
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बच्चो को ये समझाएं कि अगर उन्होंने गलत व्यवहार किया या मम्मी पापा की बात नहीं मानी तो उन्हें टाइम आउट दिया जाएगा। यानि आपको एक-दो बार टाइम आउट देकर सिर्फ उसकी वॉर्निंग देनी है। बच्चे को बताएं कि अगर उसने अपने बर्ताव में सुधार नहीं किया तो टाइम आउट मिलेगा।
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अगर आप बच्चे को टाइम आउट दे रहें है तो ऐसी जगह चुनें जहां बच्चा सुरक्षित रहे। इस जगह पर बच्चे को शांत होकर बैठने के लिए कहा जाता है। आप रूम में , बेड पर या सोफे पर बैठे रहने के लिए टाइम आउट दे सकते हैं। आपको तब तक उन्हें नॉर्मल कोई एक्टिविटी नहीं करने देनी है जब तक वो अपनी गलती न समझ जाएं।
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जिस जगह पर बच्चे को टाइम आउट दिया जा रहा है वहां ज्यादा टॉयज, सोशल एक्टिविटी, टीवी या कई ऐसी चीज नहीं होनी चाहिए जहां बच्चा इंगेज हो जाए। आपको ऐसी जगह चुननी है जहां बैठकर बच्चे को अपनी गलती का अहसास हो।
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टाइम आउट के दौरान बच्चे पर चिल्लाने- छल्लाने या फिर मार-पीट की जरूरत नहीं है। आप शांत स्वभाव के साथ बच्चे को टाइम आउट दें। इस दौरान बच्चे के किसी तरह के नेगोसिएशन में ना आएं। हालांकि ये समझने की जरूरत है कि ये बच्चों को डराने के लिए नहीं है।
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जब भी बच्चे को टाइम आउट दें तो प्लेस का बहुत ध्यान रखें। बच्चे को ऐसी जगह पर ना रखें, जहां वो अकेला हो या फिर किसी तरह की चीज से खुद नुकसान पहुंचा ले। टाइम आउट का समय 5 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिये। जब बच्चा गलती महसूस करे तो टाइम आउट रोक दें।