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हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है या नहीं? अजय देवगन-किच्चा सुदीप की लड़ाई में कौन सही?

अजय देवगन ने कन्नड़ अभिनेता सुदीप को लेकर एक ट्वीट किया है जिसके बाद हिंदी राष्ट्रीय भाषा है या नहीं इस पर बहस छिड़ गई है।

Edited by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Updated on: April 28, 2022 14:08 IST
Hindi is our national language or not?- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM Hindi is our national language or not?

Highlights

  • अजय देवगन और किच्चा सुदीप में हिंदी भाषा को लेकर हुई बहस
  • ट्विटर पर अजय देवगन ने किच्चा सुदीप को टैग करके उन्हें कहा था कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है

एक्टर अजय देवगन और किच्चा सुदीप के बीच हाल ही में ट्विटर पर हिंदी भाषा को लेकर नोकझोंक हुई, जिसके बाद लोगों के मन में सवाल खड़े हो गए कि हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है या नहीं? दरअसल अभिनेता अजय देवगन ने कन्नड़ अभिनेता सुदीप को लेकर एक ट्वीट किया है, ये ट्वीट किच्चा सुदीप के उस स्टेटमेंट के बाद आया है, जिसमें उन्होंने केजीएफ चैप्टर 2 की सफलता के बारे में बात करते हुए कहा, "हर कोई कहता है कि एक कन्नड़ फिल्म पैन इंडिया लेवल पर बनाई गई थी, लेकिन एक छोटा सुधार यह है कि हिंदी अब राष्ट्रीय भाषा नहीं है।"

अजय देवगन का ट्वीट

किच्चा सुदीप के इस बयान के बाद अजय देवगन ने ट्विटर पर किच्चा सुदीप को टैग करते हुए कुछ ऐसा लिख दिया जिससे बवाल मच गया। अजय ने लिखा- ''किच्चा सुदीप मेरे भाई, आपके अनुसार अगर हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है तो आप अपनी मातृभाषा की फ़िल्मों को हिंदी में डब करके क्यूँ रिलीज़ करते हैं? 

हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और हमेशा रहेगी। जन गण मन ।''

किच्चा सुदीप ने दिया जवाब

इसके बाद किच्चा सुदीप ने ट्वीट किया और कहा- ''हेलो अजय देवगन सर... मेरे ख्याल से जिस संदर्भ में मैंने ये लाइन कही थी वह बिल्कुल दूसरी तरह आपके पास पहुंचा है। संभवत: इस बात पर जोर दिया जाएगा कि जब मैं आपको व्यक्तिगत रूप से देखता हूं तो बयान क्यों दिया गया था। यह चोट पहुँचाने, उकसाने या कोई बहस शुरू करने के लिए नहीं था। मैं ऐसा क्यों करूंगा सर?''

कर्नाटक सीएम का ट्वीट भी आया

इसके बाद कर्नाटक के सीएम ने भी किच्चा सुदीप की साइड ली और ट्वीट करके कहा- 'हिंदी कभी भी हमारी नेशनल लैंग्वेज नहीं थी, न होगी। हमारे देश की भाषाई विविधता का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। प्रत्येक भाषा का अपना समृद्ध इतिहास होता है, जिस पर लोगों को गर्व होता है। मुझे कन्नड़ होने पर गर्व है !!'

सोनू सूद ने क्या कहा?

सोनू सूद ने indianexpress.com से बात करते हुए कहा- "मुझे नहीं लगता कि हिंदी को सिर्फ राष्ट्रभाषा कहा जा सकता है। भारत की एक भाषा है, जो एंटरटेनमेंट है। यह वास्तव में मायने नहीं रखता कि आप किस इंडस्ट्री से संबंधित हैं। यदि आप लोगों का मनोरंजन करते हैं, तो वे आपसे प्यार करेंगे, आपका सम्मान करेंगे और आपको स्वीकार करेंगे। लोगों की संवेदनाओं का सम्मान करना चाहिए। वह दिन गए जब लोग कहते थे कि 'अपना दिमाग छोड़कर फिल्में देखो'। वे अपने दिमाग को पीछे नहीं छोड़ते और एक औसत फिल्म पर हजारों रुपये खर्च करते हैं। केवल अच्छे सिनेमा को स्वीकार किया जाएगा।”

कर्नाटक के पूर्व सीएम का ट्वीट

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी इस मामले में अपनी राय रखी है। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा- ''अभिनेता किच्चा सुदीप का यह कहना सही है कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है। उनके बयान में गलती खोजने की कोई बात नहीं है। अभिनेता अजय देवगन नेचर में न केवल हाइपर है बल्कि अपने अजीब व्यवहार को भी दर्शा रहे हैं।''

क्या हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है?

आपको बता दें, वास्तव में भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। हिंदी भारत के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत के संविधान ने किसी भी भाषा को राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिया है। राष्ट्रभाषा का अर्थ उस भाषा से है जो पूरे देश में सभी प्लेटफार्मों (सरकारी या निजी) पर बोली और लिखी जाती है। कुछ पुराने ग्रंथों में, संविधान बनाते समय यह पाया गया है कि हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया था, लेकिन चूंकि केवल 40% भारतीय आबादी इस भाषा को बोलती थी, इसलिए इसे राष्ट्रीय भाषा का दर्जा संविधान में नहीं लिखा गया था। सरकार ने 22 भाषाओं को ऑफिशियल लैंग्वेज के रूप में जगह दी है। जिसमें केन्द्र सरकार और राज्य सरकार जगह के अनुसार किसी भी भाषा को वहां की आधिकारिक भाषा के रूप में चुन सकती है। केन्द्र सरकार ने अपने कार्यों के लिए हिन्दी और रोमन भाषा को ऑफिशियल लैंग्वेज के रूप में जगह दी है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग आधिकारिक भाषाओं को चुना गया है। फिलहाल 22 आधिकारिक भाषाओं में हिंदी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संतली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, बोड़ो, डोगरी, असमी, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली और गुजराती है।

2010 में गुजरात हाईकोर्ट ने भी सभी भाषाओं को समान अधिकार के साथ रखने की बात कही थी, हालांकि कोर्ट और कई स्थानों में अंग्रेजी भाषा को स्थान दिया गया है।

अनुच्छेद 351, एक निर्देश आदेश में कहा गया है कि हिंदी के प्रसार को बढ़ावा देना सरकार का कर्तव्य है। इसका एकमात्र उद्देश्य भारत की सामासिक संस्कृति को व्यक्त करने का तरीका बनाना है।

संविधान के अनुच्छेद 348(2) और राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 7 के तहत बिहार और राजस्थान जैसे हिंदी भाषी राज्यों को अपने संबंधित उच्च न्यायालयों में हिंदी का उपयोग करने की अनुमति दी गई है।

राष्ट्रीय और राजभाषा में क्या अंतर है?

राष्ट्रीय भाषा वह होती है जिसका उपयोग राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यों के लिए किया जाता है। आधिकारिक भाषा वह भाषा है जिसका उपयोग सरकारी व्यवसाय के लिए किया जाता है, जैसे राष्ट्रीय न्यायालय, संसद या व्यावसायिक उद्देश्य से किया जाता है। भारत के संविधान के अनुसार, हिंदी और अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं हैं न कि राष्ट्रीय भाषाएं।

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