दशहरा 2023: नवरात्रि के बाद दसवां दिन दशहरा यानि विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाना है। भगवान राम मे नौ दिनों की लड़ाई के बाद दशहरा के दिन रावण को मार गिराया था. हर साल दशहरा का दिन भगवान राम की जीत की याद दिलाता है। दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुम्भकरण की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं बनाई जाती हैं और उनका दहन किया जाता है। जगह-जगह मेला लगते हैं और रावण दहन का आयोजन किया जाता है। रावण दहन देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग भी पहुंचते हैं।
दशहरे का मेला देखने के लिए लोग अपनी पूरी फैमिली के साथ पहुंचते हैं। छोटे-छोटे बच्चे और बड़े बुजुर्ग भी रावण दहन देखने जाते हैं। दशहरा के दिन कई बार गंभीर हादसे भी हो चुके हैं. रावण दहन के वक्त भगदड़ और आग लगने के घटनाएं हर साल सामने आती हैं। ऐसे में अगर आप अपनी फैमिली के साथ रावण दहन देखने जा रहे हैं तो इन बातों का खास ख्याल रखें।
रावण दहन पर क्या करें और क्या नहीं
- अगर आप बच्चों के साथ रावण दहन देखने जा रहे हैं तो बच्चों को पटाखों से थोड़ा दूर रखें। अक्सर बच्चे शोर सुनकर एक्साइटेड हो जाते हैं। कोशिश करें कि मेले में ज्यादा छोटे बच्चों को लेकर न जाएं।
- रावण दहन के बाद जलता हुआ पुतला इधर-उधर गिरता है। कई बार पटाखों से निकलने वाली आग भी आस-पास गिरती है। ऐसे में जलते हुए पुतलों से दूरी बनाए रखें। दूर से ही रावण दहन देखें।
- अगर मेला में ज्यादा भीड़ है या फिर जहां रावण दहन होना है वहां भीड़भाड़ है तो जाने से बचें। भीड़ में सबसे ज्यादा भगदड़ और दुर्घटनाएं होने का खतरा होता है।
- किसी भी आपातकालीन स्थिति में आपको मैदान के निकलने का रास्ता पता होना चाहिए। मेला देखने जा रहे हैं तो सबसे पहले निकलने के रास्ते देख लें, ताकि किसी भी दुर्घटना के वक्त आपको बाहन निकलने का रास्ता पता हो।
- रावण दहन के वक्त काफी बारूद और धुआं आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसी जगहों पर खुद को धुएं और संक्रमण से बचाने के लिए मास्क जरूर पहनें।
- रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों पर जलते तीर चलाने के बजाय, रावण दहन की कहानी बताने के लिए लेजर और लाइट्स का उपयोग करें। इससे हादसों को रोका जा सकता है।