दोस्ती दुनिया का सबसे प्यारा रिश्ता होता है! दोस्ती ही ऐसा रिश्ता होता है जो हम खुद बनाते हैं। दरअसल, दोस्त भी हम खुद नहीं बनाते बल्कि वो खुद ब खुद बन जाते हैं। एक बार दोस्ती हो जाए तो उसे लोग पूरी ज़िंदगी निभाते हैं। लेकिन कई बार दोस्तों के रूप में हमारा पाला आस्तीन के सांपों से पड़ता है। ऐसे लोग दोस्त का भेस बनाकर हमारी ज़िन्दगी में आते हैं और कुछ समय बाद अपना असली रूप दिखाते हैं। ऐसे में चलिए फ्रेंडशिप डे से पहले आज हम आपको बताते हैं आप असली और सच्चे दोस्तों की पहचान कैसे करें और दोस्ती का दिखावा करने वाले लोगों से कैसे दूरी बनाएं?
अच्छी दोस्त में होती हैं खूबियां:
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हर हाल में होते हैं आपके साथ खड़े: आपका दिन अच्छा चल रहा है या बूरा एक अच्छा दोस्त हर हाल में आपके साथ खड़े होंगे। अच्छा दोस्त कभी आपको हिम्मत नहीं हारने देता है।अच्छा दोस्त वो होता है जो आपके मुश्किल समय में हमेशा आपके साथ रहे।
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ज़रूरत पड़ने पर सबसे पहले बढ़ाते हैं हाथ: अच्छा दोस्त वो होता है जो ज़रूरत पड़ने पर सबसे पहले अपना हाथ आगे बढ़ाते हैं।अचानक, अगर आपको किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ जाए और आपका दोस्त कहे कि मैं हूँ ना..।तो समझ जाएं आपने एक सच्चा दोस्त हासिल कर लिया है।
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दूसरों से बुराई नहीं करते: अच्छा दोस्त वो होता है जो दूसरों से आपकी बुराई नहीं करता है लेकिन ज़रूरत पड़ने पर आपको आपकी गलतियां बताता है। साथ ही आपकी तमाम खामियों के बाद भी आपको प्यार करता है।
दिखावटी दोस्तों का स्वभाव होता है ऐसा:
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ज़रूरत पड़ने पर करे बात: अगर आपका दोस्त सिर्फ काम पड़ने पर ही आपसे बात करता है और जब आपको ज़रूरत हो तब आपके कॉल या मैसेज का जवाब नहीं देता है तो समझ जाएं ये दोस्ती एकतरफा है और आपने दोस्त नहीं सांप पाल रखा है।
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कामयाबी से जलन: दोस्ती में लोग एक दूसरे की कामयाबी से जलते नहीं हैं बल्कि दोस्त की सक्सेस को सेलिब्रेट करते हैं। वहीं, फेलियर में एक-दूसरे का सहारा बनते हैं। अगर आपका दोस्त आपकी उपलब्धियों से जलने लगे, या खुश न हो तो ऐसी दोस्ती को तोडना ही बेहतर है।
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अपनी कोई बात शेयर नहीं करना: अगर आपका दोस्त आपके सारे राज़ जानता है लेकिन आप उसके कोई सीक्रेट्स नहीं जानते हैं तो यकीन मानिए ऐसी दोस्ती किसी काम की नहीं होती। दोस्ती में जो चीज़ ज़रूरी है वो है भरोसा और एक दूसरे को सब बातें बताना।
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कमतर महसूस कराना: सच्चे दोस्त जीवन और करियर में हमेशा आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं। हार मिलने पर आपका हौंसला बढ़ाता है। अगर आपका दोस्त आपको खुद से कम समझता है और हमेशा डिमोटिवेट करता है है तो यह सच्ची दोस्ती नहीं हो सकती।