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Father's Day: नेहरू ने इंदिरा गांधी को जेल से लिखे थे खत, जिसे पढ़कर हर बेटी बन सकती है आयरन लेडी

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के लिखे गए खतों के चर्चे आज भी होते हैं। लेकिन सबसे अधिक खत जवाहरलाल नेहरू ने बेटी इंदिरा को लिखे थे। हर खत के साथ वो उन्हें सीख दिया करते थे। 

Written by: Sweety Gaur @sweety_gaur
Published on: June 18, 2022 17:01 IST
Jawaharlal Nehru- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/@IUMARKHANBABA Jawaharlal Nehru

Highlights

  • जवाहरलाल नेहरू जेल से बेटी इंदिरा को लिखा करते थे खत
  • पत्र के जरिए जवाहरलाल नेहरू ने बेटी इंदिरा को दी थी बड़ी सीख

Father's Day: हर बेटी अपने पिता के लिए खास होती है। हर पिता भी अपनी बेटी को दुनियां से लड़ने की सीख देता है। ऐसी ही एक सीख दी थी देश के पहले प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू ने बेटी इंदिरा को। 1928 में नैनीताल की जेल से लिखे अपने पत्रों के जरिये जवाहरलाल नेहरू ने नन्हीं इंदिरा को कई बड़ी सीख दी थी। 

पिता जवाहरलाल नेहरू अक्सर इंदिरा को पत्र लिखा करते थे। लेकिन कुछ पत्र ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर आपको पता चलेगा कि , यूं हीं कोई इंदिरा गांधी नहीं बन जाता

जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखा गया पत्र

प्यारी बेटी इंदिरा, 

भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां अलग-अलग रंग, रूप और क्षमताओं के लोग रहते हैं। भारत की विविधता ही तो हमारी पहचान है। इसलिये इन आधारों पर फर्क करना अमानवीय है। 

डर से की गई बात बुरी होती है। पता है मजहब भी डर से आया। इसलिये मजहब के आधार पर दंगे फसाद गलत हैं।

प्यारी बेटी जो अपने को बदलकर आसपास की चीजों में मिला देते हैं, उनके लिए जिंदा रहना आसान हो जाता है। 

हमें याद रखना चाहिए कि हम बंदरों और वनमानुषों के वंश के ही हैं। तुम अगर गौर से लोगों के स्वाभाव का आंकलन करोगी तो पाओगी आज भी शायद हम में से कई लोगों का स्वभाव बंदरों जैसा ही है।

अंग्रेज अपने को दुनिया में सबसे बढ़कर समझता है, फ्रांसीसी का भी यही ख्याल है कि मैं ही सबसे बड़ा हूं, जर्मन, अमेरिकन और दूसरी जातियां भी अपने को बड़ा समझती हैं।

हर देश के आदमी को ऐसा लगता है कि हम ही सबसे अच्छे और होशियार हैं और दूसरी जातियाों और धर्म के लोग घटिया हैं।

कितना अच्छा होता अगर, अगर दुनिया के सभी आदमी खुश और सुखी होते। हमें कोशिश करनी चाहिए कि सारी दुनिया ऐसी हो जाए जहां लोग चैन से रह सकें।

गली में लड़ते दो आदमियों को हम बेवकूफ और पागल समझते हैं। तुरंत हम पुलिस को बुलाते हैं। पुलिस उन्हें डंडे मारती है तो जब दो बड़े मुल्क आपस में लड़ने लगें और लाखों आदमियों को मार डालें तो वह कितनी बड़ी बेवकूफी और पागलपन है।

मिलकर काम करना अकेले काम करने से अच्छा है। सबकी भलाई के लिए एक साथ मिलकर काम करना सबसे अच्छी बात है।

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