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दाल में जरूर डालें ये हरा पत्ता, यूरिक एसिड के मरीजों के लिए बेहद कारगर नुस्खा

Curry leaves for uric acid: दाल में करी पत्ते का तड़का सिर्फ स्वाद बढ़ाने के लिए ही फायदेमंद नहीं है बल्कि, ये यूरिक एसिड के लिहाज से भी काफी कारगर नुस्खा है। क्यों जानते हैं।

Written By: Pallavi Kumari
Published : Jan 28, 2023 9:30 IST, Updated : Jan 28, 2023 9:30 IST
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Image Source : FREEPIK curry_leaf_in_dal

Curry leaves for uric acid: यूरिक एसिड की समस्या से जूझ रहे लोग दाल से हमेशा दूरी बनाते हैं। उनके लिए हाई प्रोटीन और प्यूरिन से भरपूर दाल दुश्मन की तरह है। लेकिन, आपको यह जान कर हैरानी हो सकती है कि दाल में करी पत्ते का तड़का (why you should add curry leaves in dal) लगाने का सबसे पुरान नुस्खा, असल में यूरिक एसिड के मरीजों के लिए फायदेमंद है। जी हां, दरअसल इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है यूरिक एसिड में करी पत्ता खाने के फायदे (curry leaves benefits for uric acid) जिसकी वजह से यूरिक एसिड कंट्रोल में रह सकता है। कैसे, जानते हैं।

दाल में करी पत्ता क्यों डालना चाहिए-Why you should add curry leaves in dal?

जैसा कि हमने आपको बताया कि दाल, यूरिक एसिड के मरीजों का दुश्मन है। ऐसे में जब आप दाल बनाते समय शुरुआत में ही करी पत्ता डाल देते हैं तो, ये दाल से निकलने वाली गैस को कम करने के साथ इसके प्यूरिन को पचाने में मदद करता है। साथ ही करी पत्ता के एंटीऑक्सीडेंट अर्क यूरिया, यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन के स्तर में काफी कम कर सकता है। इसके अलावा भी ये कई प्रकार से फायदेमंद है। जानते हैं विस्तार से।

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Image Source : FREEPIK
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यूरिक एसिड में दाल खाने के फायदे-Curry leaves for uric acid 

1. प्यूरिन पचाने में मददगार

जैसा कि आप जानते हैं कि प्यूरिन एक मुख्य वजह है जिसके कारण शरीर में यूरिक एसिड तेजी से बढ़ता है। ऐसे में करी पत्ता के लिनालूल (linalool), अल्फा-टेरपिनीन (alpha-terpinene), मिरसीन (myrcene), महानिम्बाइन (mahanimbine), कैरियोफिलीन (caryophyllene), मुर्रेयानोल (murrayanol) और अल्फा-पिनीन (alpha-pinene) जैसे तत्व एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं और प्यूरिन को बाहर निकालने में मदद करते हैं। 

2. पाचन एंजाइम्स को बढ़ाने में मददगार 

करी पत्ता पेट के कुछ पाचक एंजाइम्स को भी बढ़ावा देते हैं जिससे प्यूरिन जमा नहीं होता और न ही इसकी पथरी आपके जोड़ों से चिपक पाती है। इस तरह ये प्रोटीन मेटाबोलिज्म में तेजी से काम करता है। साथ ही ये एंटीइंफ्लेमेटरी भी है जो कि गाउट के दर्द को भी कम करने में मददगार है।

 (ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)                                                            

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