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क्रिसमस में क्यों होता है लाल और सफेद रंगों के गुब्बारे का इस्तेमाल, जानें महत्व

Christmas Day 2022: यीशू के जन्मदिन का आधिकारिक तौर पर रोमन कैलंडर के अनुसार पहली बार 336 इसवीं को 25 दिसंबरर के दिन मनाया गया। इसके बाद से हर साल 25 दिसम्बर को ही क्रिसमस मनाया जाने लगा।

Written By: Vineeta Mandal
Updated on: December 23, 2022 15:00 IST
Christmas Day 2022- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Christmas Day 2022

Christmas Day 2022: 25 दिसंबर, 2022 को पूरी दुनिया में क्रिसमस का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। ईसाईयों के लिए क्रिसमस का दिन काफी महत्व रखता है। दरअसल, मान्यता है कि इस दिन प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था। प्रभु ईसा के जन्म की खुशी में ही क्रिसमस मनाया जाता है। इस दिन चर्चो को लाइट और झालरों से सजाया जाता है साथ ही मोमबत्ती जलाकर विशेष प्रार्थना भी की जाती है। इस दिन लोग घरों में क्रिसमस ट्री को सजाते हैं साथ साथ ही एक दूसरे को गिफ्ट्स भी देते हैं। क्रिसमस के दिन लाल, सफेद और हरे रंग का खास महत्व होता है। क्रिसमस ट्री से लेकर गुब्बारे तक में इन रंगों का इस्तेमाल होता है।

लाल रंग 

क्रिसमस में लाल रंग का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। दरअसल, यह रंग प्रभु ईसा मसीह के खून का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं लाल रंग को  दूसरी तरफ ये प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है, जो खुशियां और प्यार बांटता है। यहीं वजह है कि 25 दिसंबर के दिन सजावट में लाल रंग का प्रयोग अधिक किया जाता है। 

सफेद रंग

सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक होता है। प्रभु ईसा मसीह ने भी दुनिया में शांति और प्यार का पैगाम दिया था। ऐसे में उनके जन्मदिन के मौके पर सफेद रंग का इस्तेमला काफी अच्छा माना जाता है। क्रिसमस ट्री को सजाने में भी सफेद रंग का इस्तेमाल होता है।

हरा रंग

हरे रंग को प्रकृति का रंग माना जाता है। जानकारी के मुताकि, रोम के लोग जनवरी के महीने में हरे रंग की सदाबहार शाखाओं का का आदान-प्रदान करते थे। क्रिसमस ट्री को सजाने के लिए सबसे पहले हरे रंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा हरे रंग को सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए क्रिसमस के दिन इस रंग का इस्तेमाल भी किया जाता है।

क्रिसमस ट्री को सजाने के पीछे की मान्यता

क्रिसमस के मौके पर चर्च से लेकर दुकान, मॉल और घरों तक में छोटा या बड़ा क्रिसमस ट्री जरूर रखा होता है। क्रिसमस ट्री के पीछे की मान्यता है कि ईसा मसीह के जन्म के समय सभी देवताओं ने सदाबहार नाम के पेड़ को सजाया था। इसके बाद से ही इस पेड़ को क्रिसमस ट्री के नाम से जाना जाता है। वहीं दूसरी कहानी यह है कि क्रिसमस ट्री की शुरुआत उत्तरी यूरोप में कई हजार साल पहले हुई थी। उस समय फेयर नाम के एक पेड़ को सजाकर विंटर फेस्टिवल मनाया जाता था। धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री का चलन बढ़ने लगा।  हर कोई क्रिसमस मौके पर पेड़ लगाने लगा।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैंइंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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