छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से हो जाती है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाए किया जाता है। इस दिन सात्विक भोजन खाया जाता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है और फिर जल चढ़ाकर पूजा की जाती है। व्रती महिलाओं के लिए ये दिन बेहद खास होता है। इस दिन से तन-मन को शुद्ध करने की शुरूआत हो जाती है। दिन में सिर्फ एक समय खाना खाते हैं और उसमें पूरी शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। नहाय खाय में सात्विक भोजन का ही सेवन किया जाता है।
नहाय खाय में इन चीजों के सेवन से बचें
- नहाय खाय के दिन जो खाना बनता है उसमें शुद्धता का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन घर में जो खाना बनाया जाता है उसमें लहसुन प्याज का इस्तेमाल न करें।
- तामसी भोजन से पूरी तरह परहेज करें। व्रतियों का पूरे चार दिन लहसुन, प्याज से दूर रहना होता है।
- अगर आप ऐसा नहीं करते तो इससे व्रत उपवास की पवित्रता भंग हो जाती है।
- इस दिन नहा-धो कर ही भोजन पकाएं और उसका सेवन करें। खाने में साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।
- कोशिश करें कि इस दिन तला भुना खाना न खाएं। ऐसा खाना खाएं जो आपको आगे व्रत के लिए एनर्जी दे और शरीर को तैयार करे।
- छठ के व्रती नहाय खाय के दिन सिर्फ एक बार ही खाना खाते हैं।
- जो भोजन नहाय खाय के दिन तैयार किया जाता है उसे पहले व्रती महिलाओं को परोसा जाता है।
- उसके बाद परिवार के दूसरे सदस्य उस भोजन को ग्रहण करते हैं।
छठ नहाय खाय में क्या खाना चाहिए
नहाय खाय के दिन कद्दू की सब्जी खाने का विशेष महत्व है। इस दिन भात के साथ लौकी चने की दाल भी खाई जाती है। लौकी को हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना गया है। व्रत में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। लौकी में पानी की मात्रा भी अच्छी होती है जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। लौकी खाने से शरीर को अगले दिन उपवास करने की ताकत मिलती है और बीमारियां भी दूर रहती हैं। वहीं चने की दाल को भी दूसरी दालों के मुकाबले अधिक शुद्ध माना गया है। भात खाने से एनर्जी मिलती है और पचाना आसान होता है।