
बाइपोलर डिसऑर्डर हमारे मेंटल हेल्थ से जुड़ी एक कंडीशन है। यानी यह एक मानसिक बीमारी है जिससे मूड, ऊर्जा, और गतिविधि में बहुत तेजी से बदलाव आता है। इस डिसऑर्डर के बारे में आज भी ज़्यादातर लोग नहीं जानते हैं। ऐसे में इस इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 30 मार्च को बाइपोलर डिसऑर्डर दिवस (Bipolar Disorder Day 2025) मनाया जाता है। चलिए, हम बताते हैं बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं और बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर?
बाइपोलर डिसऑर्डर को पहले मैनिक-डिप्रेसिव बीमारी या मैनिक डिप्रेशन कहा जाता था। बाइपोलर डिसऑर्डर उस स्थिति को कहते हैं जब किसी व्यक्ति के मानसिक स्वासथ्य के कार्यों में गड़बड़ी आने लगती है। यह डिसऑर्डर, मानसिक स्वास्थ्य की ऐसी समस्या है जिसमें मरीज के व्यवहार में तीव्र गति से बदलाव होता है। इससे पीड़ित लोग कभी बेहद खुश होते हैं तो कभी अवसादग्रस्त अवस्था में चले जाते हैं तो कभी हाइपर एक्टिव हो जाते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण:
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अवसादग्रस्त अवस्था - बहुत ज़्यादा दुखी, उदास, और निराश महसूस होना
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बहुत ज़्यादा खुश - बहुत ज़्यादा खुश होना और एक्टिव होना
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हाइपोमैनिक अवस्था - मूड हाई रहना
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मिश्रित अवस्था - उन्माद और डिप्रेशन का मिश्रण महसूस होना
बाइपोलर डिसऑर्डर होने पर मनोरोगी लक्षण (जैसे मतिभ्रम और भ्रांतियाँ) आम होते हैं। इस में डिप्रेशन से ग्रसित लोगों को बहुत ज़्यादा दुखी महसूस होता है। ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में परेशानी होती है
बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज़:
बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज दवाओं, थेरेपी, और जीवनशैली में बदलाव कर किया जाता है। इसके इलाज के लिए बेहद सावधानी के साथ मरीज को लगातार देखभाल की ज़रूरत होती है। बाइपोलर डिसऑर्डर के इलाज में, परिवार के सदस्यों का मरीज को लेकर पॉज़िटिव व्यवहार उसे तेजी से ठीक करता है। साथ ही स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और तनाव नहीं लेने से इसको रोकने में मदद मिलती है।