सामाजिक विकास कार्यकर्ता और मशहूर फोटोग्राफर एकलव्य प्रसाद की प्रदर्शनी 'उत्तर बिहार के धैर्यवान समुदाय' का उद्घाटन किया गया। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की महानिदेशक सुनीता नारायण ने किया। इस खास मौके पर कला प्रेमियों, सामाजिक विकास पेशेवरों, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील लोगों और मीडिया से जुड़े कई बड़े चेहरे शामिल हुए। विजुअल कथा श्रृंखला 6 दिसंबर से 12 दिसंबर 2024 तक, हर रोज सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स, नई दिल्ली में जनता के लिए खुली रहेगी। इस प्रदर्शनी में आप बाढ़ प्रभावित समुदायों के धैर्य, अनुकूलन और चल रही चुनौतियों को देख और महसूस कर सकते हैं।
उत्तर बिहार के धैर्यवान समुदाय की कहानी
सामाजिक विकास कार्यकर्ता और फोटोग्राफर एकलव्य प्रसाद की इस प्रदर्शनी में बाढ़ प्रभावित बिहार के इलाकों में रहने वाले लोगों, समुदायों की चुनौतियों और विजयगाथाओं को उजागर करने की कोशिश की गई है, जो हर साल बाढ़ के चक्र से गुजरते हैं। इस प्रदर्शनी में उत्तर बिहार आने वाली बाढ़, नदी के जलस्तर में धीमी वृद्धि और इनके दैनिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव जैसे डूबे हुए घर, नष्ट होती फसलें और बाधित बुनियादी ढांचे को दिखाया गया है। इस प्रदर्शनी में प्राकृतिक आपदाओं द्वारा लाए गए दीर्घकालिक परिवर्तनों पर भी प्रकाश डाला गया है। जो कई पीढ़ियों तक अपना असर छोड़ती हैं।
एकलव्य प्रसाद की प्रदर्शनी में दिखेगा बाढ़ का दर्द
इस प्रदर्शनी में दिखाई जाने वाली हर तस्वीर उत्तर बिहार के लोगों के साहस, संसाधनशीलता और दृढ़ संकल्प की कहानी कहती है, जो बाढ़ की चुनौतियों का सामना करने और उनके अनुरूप ढलने में सक्षम हैं। एकलव्य प्रसाद ने अपने दो दशकों के मेघ पाइन अभियान के अनुभव प्रदर्शनी के उद्धाटन के दौरान साझा किए। उन्होंने बताया कि इन समुदायों के साथ उनके अनुभव ने उन्हें यह प्रदर्शनी क्यूरेट करने के लिए प्रेरित किया, ताकि बाढ़ प्रभावित लोगों के जीवन की गुणवत्ता को समग्र रूप से सुधारने के लिए विशेष और प्रासंगिक हस्तक्षेपों की कल्पना, डिजाइन और कार्यान्वयन किया जा सके।
बाढ़ के बाद संघर्ष की कहानी
वहीं प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए, सुनीता नारायण ने प्रदर्शनी की गहराई और प्रभाव की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह फोटोग्राफी प्रदर्शनी बाढ़ के तुरंत बाद के प्रभावों तक सीमित नहीं है, बल्कि इन प्राकृतिक आपदाओं के सालभर और बार-बार पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाती है। उन्होंने कहा, 'यह प्रदर्शनी स्पष्ट रूप से दिखाती है कि बाढ़ के परिणाम केवल मानसून के तीन महीनों तक सीमित नहीं हैं। यह सालभर प्रभावित समुदायों के सतत संघर्षों को उजागर करती है।' उन्होंने यह भी कहा कि प्रदर्शनी इन समस्याओं को जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में बदतर होते हुए दिखाती है और अधिक केंद्रित और टिकाऊ हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर बल देती है।