All Saints’ Day: 01 नवंबर को संतों के सम्मान में सभी संत दिवस (All Saints’ Day) मनाया जाता है। सभी संत दिवस को दुनियाभर के कई देशों में खासकर ईसाइयों द्वारा मनाया जाता है। सभी संत दिवस को अलग-अलग देशों में इसे मनाए जाने की परंपराओं में भी भिन्नता है। वहीं स्पेन, पुर्तगाल और मैक्सिको जैसे देशों में इस दिन प्रसाद भी बनाए जाते हैं। बेल्जियम, हंगरी और इटली में इस दिन लोग अपने मृत पितरों की क्रब पर फूल चढ़ाते हैं। यूरोप के अन्य हिस्सों में इस दिन मृत रिश्तेदारों के कब्र पर मोमबत्तियां जलाई जाती है। बात करें भारत की तो, यह अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता के लिए जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में पुणे में श्री संत तुकाराम मंदिर के उद्घाटन के दौरान कहा था कि ‘भारत की संस्कृति में हमारे साधु-संतों का अहम योगदान है, जिसकी वजह से भारत की संस्कृति शाश्वत है।’ साधु-संतों ने ही हमारी पीढ़ियों को प्रेरणा दी और आज भी ऐसे कई संत हैं, जिनके प्रवचन और प्रेरणा लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। इनके अनमोल विचार जीवन जीने की अद्भुत कला सिखाते हैं। मौजूदा समय में भारत के ऐसे कई संत हैं, जो वर्ल्ड फेमस मोटिवेटर कहलाते हैं। देश-विदेश तक लोग इन्हें सुनते हैं। सोशल मीडिया पर भी उनके खूब फॉलोअर्स देखने को मिलते हैं। सभी संत दिवस (All Saints’ Day) के मौके पर जानते हैं भारत के ऐसे संतों के बारे में जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं।
श्री श्री रविशंकर (Gurudev Sri Sri Ravi Shankar)
दक्षिण भारत में जन्मे गुरुदेव श्री श्री रविशंकर दुनियाभर में श्रद्धेय एक आध्यात्मिक और मानववादी गुरु हैं। उन्होंने दुनियाभर में शांति वार्ताओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे हर साल 40 देशों की यात्रा करते हैं और भारत समेत अन्य देशों में भी शांति बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहें हैं। दुनियाभर में उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है। यूट्यूब पर गुरुजी के प्रेरणात्मक वीडियो खूब देखे जाते हैं। श्री श्री रविशंकर जी के इंस्टाग्राम पर 1।4 मिलियन फॉलोअर्स और यूट्यूब पर 1।68 सब्सक्राइबर हैं। साथ ही श्री श्री रविशंकर जी फेसबुक पर भी एक्टिव हैं।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru jaggi Vasudev)
कर्नाटक में जन्में सद्गुरु जग्गी वासुदेव बेहतरीन लेखक और कवि हैं। उनकी बातें सटीक और साफ होती है, जो व्यक्ति को भीतर तक छू लेती है। सोशल मीडिया के माध्यम से उनके संदेश वीडियो को दुनियाभर में देखा और सुना जाता है। उन्होंने महज 11 साल की उम्र से ही योग साधना शुरू कर दी और 25 वर्ष की उम्र में जीवन के सभी सुखों का त्याग कर आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की। सद्गुरु सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और हमेशा ही अपने मोटिवेशनल पोस्ट शेयर करते रहते हैं। सद्गुरु जी के ट्विटर अकाउंट पर 4 मिलियन और इंस्टाग्राम पर 9 मिलियन फॉलोअर्स हैं।
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ब्रह्माकुमारी दीदी शिवानी (Shivani Brahma Kumari)
शिवानी वर्मा जिन्हें हम सब ब्रह्मा कुमारी शिवानी दीदी के नाम से जानते हैं। अवेकनिंग विद ब्रह्माकुमारी (Awakening With Brahma Kumaris) टीवी कार्यक्रम के माध्यम से शिवानी वर्मा जी लोगों के बीच खूब लोकप्रिय हुईं। इस कार्यक्रम की शुरुआत 2007 में हुई थी। शिवानी जी लोगों को अध्यात्म जीवन अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं और लोगों को यह बताती हैं कि कैसे समाज और परिवार के बीच रहकर व्यक्ति तनाव मुक्त जीवन जी सकता है। देश-विदेश तक लोग शिवानी दीदी के कार्यक्रम और वीडियो देखते हैं। सोशल मीडिया फॉलोअर्स की बात करें तो इंस्टाग्राम पर इनके 1.1 मिलियन फॉलोअर्स और यूट्यूब पर 5।15 मिलियन सब्सक्राइबर हैं। साथ ही ब्रह्मा कुमारी शिवानी फेसबुक पर भी एक्टिव हैं।
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स्वामी चिदानंद सरस्वती (Chidanand Saraswati)
परम पूज्य स्वामी श्री चिदानंद सरस्वती हिंदू आध्यात्मिक गुरु और संत हैं। स्वामी चिदानंद का लक्ष्य है सभी मनुष्यों को ईश्वर के करीब लाना। फिर चाहे कोई किसी भी धर्म को मानता हो। स्वामी जी का मानना है कि यदि आप हिंदू हैं तो बेहतर हिंदू बनें। यदि आप ईसाई हैं तो बेहतर ईसाई बनें और यदि आप मुसलमान हैं तो बेहतर मुसलमान बनें। स्वामी जी की सादगी, गहन ज्ञान, मानवता और विनम्रता ही उन्हें दुर्लभ संतों में एक बनाती है, जिनके विचार दुनियाभर के लोगों को प्रेरित करते हैं। सोशल मीडिया पर भी स्वामी जी को हजारों लोग सुनते और देखते हैं। इंस्टाग्राम पर उनके 26 हजार से ज्यादा और ट्विटर पर 14 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती (Swami Swaroopanand Saraswati)
हिंदुओं के धर्मगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन इसी साल 11 सितंबर को हुआ। ब्राह्मण परिवार में जन्में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ऐसे श्रेष्ठ संन्यासी थे, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन हिंदुओं को संगठित करने के लिए समर्पित कर दिया। महज 9 साल की उम्र में ही वे घर-परिवार का त्याग कर धर्म यात्रा पर निकल पड़े।