कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया को हाथ धोने की सलाह दी जा रही है। वहीं, पानी के महत्व को समझाने के लिए 22 मार्च को 'वर्ल्ड वॉटर डे' यानि 'विश्व जल दिवस' मनाया जा रहा है। भले ही इस संकट की स्थिति में हाथ धोने के लिए ज्यादा पानी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, लेकिन हम अन्य कामों में बचत कर इसकी भरपाई कर सकते हैं।
22 मार्च को विश्व जल दिवस का उद्देश्य पानी के महत्व को समझाना और इसके संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाना है। बता दें कि इस साल की थीम 'जल और जलवायु परिवर्तन' है।
कब हुई थी 'विश्व जल दिवस' की शुरुआत?
जानकारी के अनुसार, ब्राजील में रियो डी जेनेरियो में साल 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई। साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
लोगों को नहीं मिल पाता है पानी
सोशल मीडिया पर #WorldWaterDay ट्रेंड कर रहा है, जिसके तहत लोग अपील कर रहे हैं कि पानी की बर्बादी ना करें, क्योंकि पूरे विश्व आबादी में 400 करोड़ ऐसे लोग हैं जिन्हें आज भी पीने भर पर्याप्त पानी नहीं मिलता है।
आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस आबादी के एक चौथाई लोग भारत के हैं। विश्व में जल संकट आज भी है। इसलिए पानी का संरक्षण बेहद जरूरी हो गया है।