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अब आंगन में नहीं सुनाई देती गौरेया की चहचहाहट, लेकिन इन्हें बचाने में जी-जान से जुटे हैं ये लोग

आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो इस चिड़िया को विलुप्त नहीं होने देना चाहते हैं। वे मुहिम चलाकर ना सिर्फ इन्हें दाना खिला रहे हैं, बल्कि इनके रहने का इंतजाम भी कर रहे हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 20, 2021 12:42 IST
World Sparrow Day 2021 - India TV Hindi
Image Source : TWITTER: @AIRNEWSALERTS अब आंगन में नहीं सुनाई देती गौरेया की चहचहाहट, लेकिन इन्हें बचाने में जी-जान से जुटे हैं ये लोग

'स्पैरो' यानि नन्ही सी गौरेया, जो घरों के आंगन में फुदका करती थी। दीवारों की दरारों में झांकती रहती थी। तपती दोपहरी में भी दिन भर चहचहाती रहती थी। जहां दाना पड़ा देखती थी, फौरन आकर उसे चुगती थी। अब घरों में गौरेया की चहचहाहट सुनाई नहीं देती है। घरों में वो दरारे ही नहीं बची हैं, जिनमें ये नन्ही सी चिड़िया अपने बच्चों को पालती थी। इनके बिना घर बहुत सूना लगता है, लेकिन आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो इस चिड़िया को विलुप्त नहीं होने देना चाहते हैं। वे मुहिम चलाकर ना सिर्फ इन्हें दाना खिला रहे हैं, बल्कि इनके रहने का इंतजाम भी कर रहे हैं। अपने प्रयास से वो गौरेया की संख्या भी बढ़ाने में सफल रहे हैं। 

आज #WorldSparrowDay है। इस खास दिन पर ट्विटर पर #WorldSparrowDay ट्रेंड हो रहा है। हर कोई वीडियो या फोटो शेयर कर लोगों से गौरेया को बचाने की अपील कर रहा है। इनमें से कई लोग ऐसे भी हैं, जो इस नन्ही चिड़िया को बचाने और इनकी संख्या बढ़ाने में जी-जान से जुटे हुए हैं। 

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कानपुर के गौरव बाजपेयी ने साल 2014 में 'गौरेया बचाओ अभियान' की शुरुआत की थी। पिछले 7 सालों से वो शिकारी पक्षियों से गौरेया की सुरक्षा कर रहे हैं। साथ ही उन्हें खाना भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा, 'आजकल के नए घरों में गौरेया के लिए जगह नहीं बची है। इस वजह से उन्हें अंडे देने के लिए घोसला बनाने में भी दिक्कत होती है। ऐसे में इस कैंपेन के जरिए हम उन्हें सुरक्षित शेल्टर और खाना उपलब्ध कराते हैं। पिछले 7 सालों में इनकी संख्या 70 से 80 हजार बढ़ी है।' 

ऐसी ही मुहिम सिर्फ कानपुर में ही नहीं, बल्कि वाराणसी में भी चल रही है। यहां एक फाउंडेशन चलाने वाले नवनीत पांडे ने कहा कि उनकी संस्था घोसला रूपी बॉक्स और खाना बांटती है, ताकि इस प्रयास से स्पैरो को बचाया जा सके। उनकी इस कोशिश की वजह से शहर में गौरेया की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 

इसी तरह आम जनता भी गौरेया के लिए अपनी क्षमता के मुताबिक कुछ ना कुछ कर रही है। इन लोगों ने वीडियो पोस्ट किए हैं, जिसमें कोई गौरेया के लिए बर्तन में पानी और खाना रख रहा है तो किसी ने अपने घर में घोसला बनाने के लिए जगह दी है। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि गौरेया की आबादी को बढ़ाने में पहल करें। 

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