पेड़-पौधे, नदियां, जंगल, जमीन, पहाड़ आदि जीवन के लिए बहुत ही जरूरी हैं। प्रकृति से हम कितना कुछ लेते हैं, लेकिन बदले में हम क्या देते हैं? प्रदूषण। कई बड़े शहरों में आज पॉल्युशन लेवल इस कदर बढ़ गया है कि सांस लेना भी दूभर हो गया है। इसलिए, हम सबको इस बाद पर ध्यान देना होगा कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं, गंदगी और प्रदूषण न फैलने दें। ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से हम प्रकृति के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। क्योंकि अगर प्रकृति संरक्षित है तो मानवीय जीवन सुरक्षित है। ऐसे ही संदेशों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर देश-दुनिया में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना संकट के कारण बहुत सारे आयोजन नहीं हो रहे हैं। आईए जानते हैं विश्व पर्यावरण दिवस के इतिहास और इस साल के थीम के बारे में।
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विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की और से की गई थी। पर्यावरण दिवस की शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से हुई थी। इसी दिन यहां पर दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें भारत की ओर से तात्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भाग लिया था।
इस सम्मेलन के दौरान ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की भी नींव पड़ी थी। जिसके चलते हर साल विश्व पर्यावरण दिवस आयोजन का संकल्प लिया गया। जिससे लोगों को हर साल पर्यावरण में हो रहे बदलाव से अवगत कराया जा सके और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए लोगों को समय-समय पर जागरुक किया जा सके।
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विश्व पर्यावरण दिवस की थीम
विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने से पहले हर साल के लिए एक थीम का चयन किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम 'पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली यानी इकोसिस्टम रीस्टोरेशन का है। जंगलों को नया जीवन देकर, पेड़-पौधे लगाकर, बारिश के पानी को संरक्षित करके और तालाबों के निर्माण करने से हम पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से रिस्टोर कर सकते हैं।