इस बार होली के अगले दिन यानि आज 22 मार्च को हर साल की तरह वर्ल्ड वॉटर डे मनाया जाएगा। पूरे विश्व आबादी में 400 करोड़ ऐसे लोग हैं जिन्हें आज भी पीने भर पर्याप्त पानी नहीं मिलती है और आपको जानकर हैरानी होगी कि इस आबादी का एक चौथाई लोग भारत के हैं। आज विश्व में जल का संकट कोने-कोने में व्याप्त है। लगभग हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। दुनिया औद्योगीकरण की राह पर चल रही है, किंतु स्वच्छ और रोग रहित जल मिलना आज के समय में काफी मुश्किल है।
विश्व जल दिवस पोस्टर
आपको बता दूं कि 1993 में पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया था और संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1992 में अपने 'एजेंडा 21'में रियो डी जेनेरियो में इसका प्रस्ताव दिया था!
वॉटर एंड संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के कुल जमीनी पानी का 24 फीसदी भारतीय उपयोग करते हैं। वाटर एड संस्था की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के कुल जमीनी पानी का 24 फीसदी भारतीय उपयोग करते हैं। देश में 1170 मिमी औसत बारिश होती है, लेकिन हम इसका सिर्फ 6 फीसदी पानी ही सुरक्षित रख पाते हैं।
एक रिपोर्ट में भारत को चेतावनी दी गई है कि यदि भूजल का दोहन नहीं रूका तो देश को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। 75 फीसदी घरों में पीने के साफ पानी की पहुंच ही नहीं है। केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड द्वारा तय मात्रा की तुलना में भूमिगत पानी का 70 फीसदी ज्यादा उपयोग हो रहा है।
विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी विकसित देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है। यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्व साफ पीने योग्य जल का महत्व आदि बताना है।
ब्राजील में रियो डी जेनेरियो में वर्ष 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई थी। परिणामस्वरूप 1993 में 22 मार्च को पहली बार “विश्व जल दिवस” का आयोजन किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
भारत में रोज़ वाहन धोने में ही करोड़ों लीटर पानी खर्च हो जाता है।
दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
भारत में महिलाएं पानी के लिए औसतन प्रतिदिन लगभग 6 किलोमीटर का सफर करती हैं।