इस साल पद्म पुरस्कार पाने वाली महिलाओं में कई महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें उनके ही क्षेत्र के लोग पहचानते तक नहीं। जमीन से जुड़ी ये औरतें संघर्ष और हुनर की ताजातरीन मिसाल हैं। इन्होंने अपनी मेहनत और लगन से जो प्रयास किए वो फलीभूत हुए। इन्हें इस साल पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। देखिए तो सही आप इनमें से कितनी महिलाओं को पहचान पाते हैं।
तीजन बाई
तीजन बाई का नाम जरूर आपने सुना होगा। 62 साल की डॉ तीजन बाई भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार हैं। पांडवानी छत्तीसगढ़ की एक पारंपरिक प्रदर्शन कला है जिसमें महाभारत की कहानियों को संगीत के रूप में बनाया और गाया जाता है। इस वर्ष उन्हें सर्वोच्च पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, वहीं तीजन को पहले ही 1987 में पद्म श्री, 2003 में पद्म भूषण और 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वह केवल 13 वर्ष की थीं, जब उन्होंने केवल 10 रुपये में अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन दिया था। इन्हें 2019 में पद्म विभूषण से नवाजा गया।
गोदावरी दत्ता
मिथिला आर्ट बिहार की संस्कृति है। जापान में मिथिला म्यूजियम के लिए मिथिला पेंटिंग बनाने गोदावरी सात बार जापान गई। देश और विदेश में मधुबनी पेंटिंग में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। गोदावरी दत्ता ने 1980 में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। उन्हें 2006 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा "शिल्प गुरु" की उपाधि भी दी गई थी। इन्हें 2019 में पद्म श्री से नवाजा गया।
नृत्यांगना नर्तकी नटराज
54 वर्षीय नर्तकी नटराज तमिलनाडु की एक प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं और भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय की पहली महिला हैं जिन्होंने पद्म पुरस्कार प्राप्त किया है। इन्होंने देश-विदेश में लगातार स्टेज शोज किए और भारत का नाम रौशन किया है। इन्हें 2019 में पद्म से नवाजा गया। इन्हें 2019 में पद्म श्री से नवाजा गया।
राजकुमारी देवी
शादी के बाद राजकुमारी देवी ने खेती, अचार व मुरब्बा और छोटे-मोटे कृषि उत्पाद बनाने शुरू किए। राजकुमारी साइकिल पर मेले और घर-घर जाकर इसकी बिक्री करती थी और उन्होंने अपने आसपास की महिलाएओं व युवतियों को प्रशिक्षण दिलाकर इस काम में लगाया। महज डेढ़ सौ रुपये से शुरू किया गया कारोबार इतना बढ़ गया कि बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में राजकुमारी देवी को किसान श्री से सम्मानित किया। राजकुमारी यह सम्मान पाने वाली एकमात्र महिला थीं। इस सम्मान के बाद ही राजकुमारी का 'साइकिल चाची का नाम किसान चाची हो गया। इन्हें 2019 में पद्म श्री से नवाजा गया।
जमुना टुडू
जमुना को लेडी टार्ज़न के रूप में जाना जाता है। वे अपने महिला साथियों के साथ झारखंड के विभिन्न इलाकों में जंगल माफिया से लोहा लेती हैं और पेड़ों की अवैध कटाई को रोकती हैं। इस गॉडफ्रे फिलिप्स बहादुरी पुरस्कार विजेता के पास झारखंड में वन भूमि के आसपास काम करने वाले 300 समूह हैं। उन्हें 2017 में नीती आयोग द्वारा वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड के लिए भी चुना गया था। इन्हें 2019 में पद्म श्री से नवाजा गया।