लोगों की सेवा में दिन रात लगे डॉक्टर्स को सलाम करने के उद्देश्य से हर साल 1 जुलाई को 'राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस' यानि की 'नेशनल डॉक्टर्स डे' मनाया जाता है। इस वक्त विश्वभर में कोरोना वायरस फैला हुआ है। इस महामारी में अपनी जान को जोखिम में डालकर सभी डॉक्टर्स रात-दिन मरीजों की देखभाल कर रहे हैं। यहां तक कि कई डॉक्टर्स मरीजों के इलाज के दौरान खुद भी कोरोना संक्रमित हो गए। बावजूद इसके डॉक्टर्स का अपने प्रोफेशन के प्रति जज्बा देखते ही बनता है। इसी वजह से डॉक्टर्स को कोरोना योद्धाओं का नाम भी दिया गया।
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डॉक्टर्स डे 2020 की थीम
कोरोना योद्धाओं को सलाम करने के उद्देश्य के चलते इस बार डॉक्टर्स डे 2020 की थीम उन असंख्य डॉक्टरों को समर्पित है जो प्राथमिक और माध्यमिक देखभाल सेटअप के साथ-साथ कोविड-19 मरीजों की सेवा कर रहे हैं।
डॉक्टर डे मनाने का कारण
देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ.बिधानचंद्र रॉय को सम्मान देने के लिए डॉक्टर डे मनाया जाता है। उनकी पैदाइश की सालगिरह और पुण्यतिथि दोनों इसी तारीख को पड़ती है। इस दिन डॉक्टर्स को उनकी समाज सेवा के जज्बे को सलाम किया जाता है साथ ही हमारे जीवन में डॉक्टरों के महत्व पर प्रकाश डाला जाता है।
जानें कौन थे डॉ बिधानचंद्र रॉय?
बिधानचंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था। इतना ही नहीं इस दिन इनकी मृत्यु भी हुई थी। यानि 1 जुलाई 1962 में इनका निधन हो गया था। इन्हीं के सम्मान के रूप में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।
वह सिर्फ बड़े लोगों के डॉक्टर नहीं थे बल्कि बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं को आम जनता की पहुंच के भीतर लाने के लिए वह जीवनभर कोशिश करते रहे। कोलकाता के कई बड़े हॉस्पिटल डॉ. रॉय की पहल पर ही शुरू हुए।
बिधानचंद्र रॉय ने राजनीति में आने के बाद कई संस्थाओं, नगरों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की थी। 1928 में इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) की स्थापना में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की स्थापना में भी उनका बड़ा योगदान था। बड़े-बड़े पदों पर बैठने के बाद भी हर दिन गरीब मरीजों का इलाज अक्सर मुफ्त में करते रहे। 1961 में मृत्यु से ठीक पहले उन्होंने अपना घर और संपत्ति जनता के नाम कर दी थी। उसी साल 4 फरवरी, 1961 को उन्हें 'भारत रत्न' की उपाधि से भी सम्मानित किया गया।
बिधानचंद्र रॉय ने पांच शहरों की स्थापना की, उनमें दुर्गापुर, कल्याणी, बिधाननगर और अशोकनगर प्रमुख हैं। कल्याणी से जुड़ी इतनी कहानियां हैं कि उन पर एक सुंदर फिल्म बनाई जा सकती है। कहा जाता है कि कल्याणी नगर डॉ. रॉय के प्रेम का प्रतीक है। जनता के बीच चर्चित कहानी कुछ इस तरह है: भारत लौटने के बाद डॉ. रॉय का शुरुआती वक्त कोशिशों और संघर्षों में बीता क्योंकि चिकित्सा उनके लिए सिर्फ पेशा नहीं बल्कि समाज के कल्याण और उत्थान का सबसे अहम माध्यम था।