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लीडर बेटियां: पीएम मोदी के मिशन नारी सशक्तिकरण ने की जिनकी मदद, आज देश का नाम कर रही हैं रोशन

ये न्यू इंडिया का नया एजेंडा है, आधी आबादी की आर्थिक आज़ादी से एक पायदान आगे बढ़ चुका है हिंदुस्तान, नारी सशक्तिकरण का नया मंत्र आया है, मोदी ने बेटियों की अगुवाई में दुनिया जीतने का प्लान बनाया है।

Reported by: India TV Lifestyle Desk
Published on: March 04, 2020 17:39 IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी अक्सर कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिसे सुनकर लोग हैरान रह जाते हैं। मोदी ने एक बार फिर देश को चौंकाया है, और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ऐसी महिलाओं का नाम मांगा है जिनका काम बेमिसाल है। मोदी ने जिनका नाम मांगा हम आपको उनका काम दिखाते हैं,वैसी लीडर बेटियाों की कहानी जिनको मोदी सरकार की योजनाओं का सहारा मिला और अपने जिद से वो दुनिया जीतने निकल पड़ी हैं।

बीते 5 वर्षों में इस आंदोलन को और अधिक विस्तार देने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं के लिए उद्यमशिलता के नए अवसर बनाए जा रहे हैं। नए भारत में हम महिला कल्याण से आगे निकल कर महिलाओं की अगुवाई में राष्ट्र कल्याण की सोच लेकर आगे बढ़ रहे हैं। 

हुनरमंद हाथ को सरकार का साथ मिला तो परिश्रम के पसीने से बेटियों ने कामयाबी की बेमिसाल कहानी लिख दी है, और इस कहानी के किरदारों से मिलना चाहते हैं प्रधानमंत्री।महिला दिवस के मौके पर अपना सोशल मीडिया अकाउंट महिलाओं को समर्पित करने का ऐलान कर दिया, और ऐसी कामयाब महिलाओं की कहानी मांगी है जो जीवन में बदलाव ला रही हैं।

बदलाव की ये बयार महसूस करनी हो तो कभी अहमदाबाद के पास साणंद में कुछ पल बिताइए..... जहां देश का पहला वुमन इंडस्ट्रीयल पार्क बनाया गया है। 20 हज़ार स्क्वायर मीटर एरिया में 200 प्लॉट हैं, सरकारी रेट से आधी कीमत पर महिलाओं को प्लॉट दिया गया है। फैक्ट्री लगाने और चलाने के लिए 1 करोड़ तक का बैंक लोन और लोन के ब्याज पर 8 परसेंट की सब्सिडी मिलती है। 5 साल तक बिजली पर प्रति यूनिट 1 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। टैक्स में छूट भी मिल रही है। ये सब ऐसी जगह पर हो रहा है जहां कोका कोला, फोर्ड और टाटा जैसे बड़े ब्रांड के प्लांट हैं। सरकार ने सुविधाओं का पिटारा खोला तो बेटियां सफलता के नए मुकाम तक पहुंच गईं। ऐसी ही हैं अहमदाबाद की अमी शाह जिन्होंने जुराबें बनाने का कारखाना खोल दिया है और धंधा चल निकला है।

गुलनाज लाहोरी भी ऐसी ही एक महिला हैं। गुलनाज मल्टिनेशनल कंपनी में जॉब करती थीं, सरकार का साथ मिला तो नौकरी छोड़ कर एलईडी बल्ब के एल्यूमीनियम कास्ट की फैक्ट्री खोल दी। नौकरी करने वाली बिटिया अब नौकरी देने वाली जमात में शामिल हो गई हैं।

गुजरात के इस वूमन इंडस्ट्रीयल पार्क में कामयाबी की कई कहानियां मिलती हैं। सरकारी मदद ने नारी शक्ति की ज़िंदगी बदल दी है। और मिडिल क्लास की महिलाएं अब एंटरप्रेन्योर बन रही हैं, वूमन इंडस्ट्रीयल पार्क का सपना मोदी ने तब देखा था, जब वो प्रधानमंत्री नहीं मुख्यमंत्री थे। प्लान था SEZ बनाने का, छोटे उद्योग से जुड़ी महिलाओं ने अपने कम बजट का हवाला दिया। मोदी ने इसे MSME यानी माइक्रो स्मॉल एंड मिडियम इंटरप्राइजेज में बदलने का फैसला ले लिया, नियम के मुताबिक केंद्र से मंज़ूरी चाहिए थी और संयोग ऐसा बना कि मोदी प्रधानमंत्री बन गए। तुरंत मंज़ूरी मिली और नारी शक्ति का सपना साकार हो गया।

बेटियों का काम बेमिसाल है, और उनका डंका स्टार्टअप की दुनिया में भी बज रहा है। नारी सशक्तिकरण के प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करने का काम गुजरात यूनिवर्सिटी स्टार्ट अप एंड एंटरप्नयोर्स काउंसिल भी कर रही है,और इसे सपोर्ट मिल रहा है मोदी सरकार के विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय का। फिजियोथेरैपी की छात्रा पल्लवी से मिलिए, पल्लवी ने एक ऐसा बेल्ट बनाया है जो गर्दन के दर्द से छुटकारा दिलाती है।

ऐसी ही हैं भावनी मेहता,  इनका पब्लिशिंग स्टार्ट अप है। 4 में से 4 किताबें इंटरनेशनल लेवल पर बेस्ट सेलर बन चुकी हैं। 

एम-फार्मा की गोल्ड मेडलिस्ट विनिता गडवानी ने हर्बल एंटीबायोटिक बनाई है, और इनकी दवा मार्केट में अब चल निकली है। 

अंजली गर्ग का स्टार्टअप भी कमाल का है, ना पानी, ना मिट्टी, ना ही सनलाइट की जरूरत, लैब में पौधे उगाए जा रहे हैं। सरकार फंड दे रही है,  फैसिलिटी फ्री मिल रही है,  तो कामयाबी कदम चूम रही है।

हौसलों की उड़ान की कहानियां सिर्फ गुजरात में ही नहीं मिलती हैं। कर्नाटक की महिला उद्योगपति छाया नंजप्पा के काम और नाम का शोर पूरे देश में सुनाई पड़ रहा है।  प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया प्रोग्राम से प्रभावित छाया का नाम शुद्ध शहद के कारोबारियों में टॉप पर आता है, और देश भर में ये ''शहद क्वीन'' के नाम से मशहूर हो गई हैं। छाया नंजप्पा ने बेंगलुरु से करीब 130 किलोमीटर दूर श्रीरंगपट्टनम में नेक्टर फ्रेश नाम की कम्पनी खोली है, जो खादी विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन के यूनिट के तौर पर काम करता है। अपने काम की वजह से छाया को देश-विदेश के कई अवार्ड मिल चुके हैं..... और इनका प्रोडक्ट बड़े-बड़े इंटरनेशनल ब्रांड को टक्कर दे रहा है।

लीडर बेटियों के किरदारों में एक नाम VLCC की फाउंडर पद्मश्री वंदना लूथरा का भी है। अकेले अपने दम पर 2 हज़ार रुपये से बिजनेस शुरू किया जो 16 देशों के 121 शहरों तक अपना सेंटर खड़ा कर दिया। 25 साल से वंदना की कंपनी ब्यूटी और फिटनेस के सेक्टर में कामयाबी का झंडा गाड़ रही है। वंदना की कंपनी का 'एंटरप्रेन्यारशिप फॉर वूमेन प्रोग्राम’ के तहत लड़कियों को ट्रेनिंग देकर उनके लिए कामयाबी का रास्ता खोल रही हैं।

सरकार की नीतियां महिलाओं को उद्योगपति तो बना ही रही हैं, सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए भी ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को रोजगार देने लायक बनाया जा रहा है..... सिर्फ मुद्रा योजना से अब तक 14 करोड़ महिलाओं की ज़िंदगी का कायाकल्प किया जा चुका है।

सेल्फ हेल्प ग्रुप प्रधानमंत्री का एक बड़ा मिशन है..... मोदी अक्सर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए महिलाओं से रूबरू होते हैं, और उनको आइडिया के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं।  महाराष्ट्र के यवतमाल के एक स्वंय सहायता समूह से बातचीत में प्रधानमंत्री ये जानकर चौंक गए थे कि गांव की महिलाएं बकरी के दूध का साबुन बना रही हैं। 

सेल्फ हेल्प ग्रुप के इस काम की पड़ताल करने इंडिया टीवी की टीम यवतमाल के एक गांव में पहुंची.... और जो दिखा.... जो सुना.... वो सचमुच चौंकाने वाला था। किसानों की आत्महत्या के लिए जाना जाने वाला यवतमाल अब कामयाब महिलाओं की वजह से पहचाना जाता है.... बकरी पालन से कितना रोजगार पैदा किया जा सकता है वो इस गांव की महिलाओं के गजानन महाराज समूह से सीखा जा सकता है। 

दूध से साबुन बनाने वाली रंजना कामड़े बताती हैं- दूध से साबून बनाने का मामला ये है कि हमारी बकरियों का दूध बढ़ गया था। मेमने का पेट भरने के बाद बकरी का दूध बर्बाद हो जाता था। हमने सोचा कि बकरी के दूध से हम कुछ बना सकते हैं। पहले हमको ट्रेनिंग मिली थी कि बकरी की लेंडी जमा कर फेंक देते हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल खाद बनाने में हो सकता है।

हमने सोचा कि बकरी के दूध का भी हम कुछ ना कुछ करेंगे। हमें ट्रेनिंग मिली कि साबुन बनाकर बेच सकते हैं। हमने साबुन बनाया और साबुन खूब बिके।

सरकार बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के बजाय उन्हें मार्केट लीडर बनाने के मिशन में लगी है, इसलिए तरह-तरह की स्कीम चलाई जा रही है, कारोबार शुरू करने के लिए सिर्फ लोन ही नहीं मिल रहा। ब्याज की दर भी सस्ती रखी गई है।

महिला कारोबारी को क्या-क्या सौगात?

स्त्री शक्ति योजना में 2 लाख से ज्यादा के लोन पर ब्याज में 0.50% की रियायत मिलती है। और उद्योगिनी योजना में कृषि या रिटेल सेक्टर में बिजनेस के लिए लोन पर 0.25% कम ब्याज देना पड़ता है। प्रोडक्ट बनाने के बाद बेचने का भी इंतजाम कर दिया गया है। महिला ई-हाट में महिलाएं अपना प्रोडक्ट ऑनलाइन भी बेच सकती हैं। यानी सरकार के इरादे नेक हैं, महिलाओं के पास मौके अनेक हैं। बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं.... बिजनेस लीडर बन रही हैं.... नेशन बिल्डर बन रही हैं।

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