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ओडिशा ने जीती रसगुल्‍ले की जंग, ट्वीटर पर ऐसे रहे लोगों के फनी रिएक्शन

बंगाल और ओडिशा दोनों राज्यों के बीच यह बहस जारी थी कि आखिर रसगुल्ले पर किसका विशेषाधिकार है? अब खबर यह आई की इतने साल तक चल रही है इस लड़ाई को ओडिशा ने जीत लिया है। 

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: July 29, 2019 19:05 IST
रसोगुल्ला- India TV Hindi
रसोगुल्ला

ओडिशा ने बंगाल के रोसोगुल्ला को हराकर 'रसगुल्ला वॉर' जीत लिया है। कई सालों से दोनों राज्यों के बीच यह बहस जारी थी कि आखिर रसगुल्ले पर किसका विशेषाधिकार है? अब खबर यह आई की इतने साल तक चल रही है इस लड़ाई को ओडिशा ने जीत लिया है। जी हां रसगुल्ले पर जीआई टैग यानी भौगोलिक पहचान ओडिसा का है। भौगोलिक संकेत रजिस्ट्रार, चेन्नई ने वस्तु भौगोलिक संकेत (पंजीकरण एवं संरक्षण), कानून 1999 के तहत इस मिठाई को ‘ओडिशा रसगुल्ला’ के तौर पर दर्ज करने का प्रमाणपत्र जारी किया। यह प्रमाणपत्र 22 फरवरी 2028 तक वैध रहेगा। जीआई टैग किसी वस्तु के किसी खास क्षेत्र या इलाके में विशेष होने की मान्यता देता है। 

इससे पहले 2017 में पश्चिम बंगाल को इसके लिए जीआइ टैग यानी भौगोलिक पहचान मिल गई थी। हालांकि, ओडिशा ने इसपर आपत्ति जताई थी। बंगाल को जीआई टैग दिए जाने की आपत्ति पर विचार करते हुए जीआई रजिस्ट्री ने ओडिशा को दो महीने का समय दिया गया था कि वह रसगुल्ले को आविष्कार को लेकर अपने दावों को पुष्ट करने का सबूत दें। 

ह भी कहा गया थ कि अगर इन दो महीनों में ओडिशा सबूत पेश नहीं कर पाता है तो यह याचिका खारिज हो जाएगी। बता दें कि रसगुल्ले को लेकर ओडिशा स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (ओएसआईसी) और रीजनल डिवेलपमेंट ट्रस्ट ने जनवरी 2018 में रसगुल्ले के लिए बंगाल को जीआई टैग दिए जाने के खिलाफ अपील की थी। 

ये खबर बाहर आते ही ट्वीटर पर कई मजेदार रिएक्शन आने लगे:

ओडिशा से मांगे गए थे ये सबूत

अब इसी मांग के समर्थन में ओडिशा को सबूत पेश करने को कहा गया है। उनसे यह भी पूछा गया था कि रसगुल्ला बनाने के लिए क्या-क्या इस्तेमाल होता है और उसे किस तापमान, कितनी नमी और किन पदार्थों की जरूरत होती है। इसके अलावा उनसे रसगुल्ला बनाने की विधि भी पूछी गई है।

बता दें, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बीच इस बात को लेकर कई साल से खींचतान से चल रही थी कि आखिर रसगुल्ले का ईजाद कहां हुआ? 2017 में जीआई रजिस्ट्री ने बंगाल के दावे को स्वीकार करते हुए उसके पक्ष में फैसला दिया था और उसे जीआई टैग जारी कर दिया था।

क्या है जीआई टैग?

किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों को जियोग्रॉफिल इंडीकेशन टैग (जीआई टैग) से खास पहचान मिलती है। जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसके अलग पहचान का सबूत है।

चंदेरी की साड़ी, कांजीवरम की साड़ी, दार्जिलिंग चाय और मलिहाबादी आम समेत अब तक 300 से ज्यादा उत्पादों को जीआई मिल चुका है।

भारत में दार्जिलिंग चाय को भी जीआई टैग मिला है। इसे सबसे पहले 2004 में जीआई टैग मिला था।

महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर के ब्लू पोटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू

मध्य प्रदेश के झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।

कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी जीआई पहचान वाले उत्पाद हैं।

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