नवरात्रि के दिनों में कोलकाता अपनी प्राचीन प्रथाओं को लेकर काफी सुर्खियों में रहता है। हर साल नवरात्रि के दौरान माता का स्वागत ढाकी से होता है। हर साल ढाकी बजाने वाले करीब 20 हजार रुपये आसानी से कमा लेते हैं। लेकिन कोरोना काल के दौरान इन लोगों की आमदनी प्रभावित हुई है। दुर्गा पूजा के जोश से जगमग कर रहे पंडालों में जब पूजा के दौरान ये ढाकी बजती है तो लोग झूम उठते हैं। इसी ढाकी की धुन पर पारंपरिक धुनकी डांस भी होता है औऱ सिंदूर खेला भी।
तस्वीरों में देखिए कोलकाता स्ट्रीट पर ढाकी लिए बैठे लोग।
कोलकाता की प्राचीन परंपरा ढाकी है। कई लोगों के घर दुर्गा पूजा के दौरान ढाकी बजाकर चलते हैं। लेकिन कोरोना काल के दौरान इन लोगों को ढाकी बजाने के लिए पूजा ऑर्गेनाइजर्स से उचित दाम नहीं मिल रहे।
ढाकी बजाने वाले बिप्लब दास मुर्शिदाबाद के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि इस साल ढाकी बजाने के दाम 10 हजार रुपये से 15 हजार रुपये तक हैं।
कोलकाता में कई परिवारों कई साल से ढाकी बजाने के काम से जुड़े हुए हैं। इन्हीं परिवारों में से एक सेन परिवार भी है। इस परिवार के मधाब सेन औरअमलन सेन कई साल से ढाकी बजाने के बिजनेस से जुड़े हुए हैं। इनके पिता हरिपदा सेन 1975 से ढाकी बजाने के कार्य से जुड़े हुए हैं। वहीं इनके भाई साल 2010 से ढाकी बजा रहे हैं।
(इनपुट/अरनब मित्रा)