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International Women's Day 2019: महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले नहीं किया जा सकता गिरफ्तार, जानें उनके और अधिकारों के बारे में

International Women's Day 2019: 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा। हर साल की तरह इस बार भी थीम है। जो कि Balanceforbetter है महिलाओं को अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए प्रोत्साहित करना। अगर जब अधिकारों की बात हो रही है तो जानें आप भी आखिर क्या है भारत के संविधान में दिए हुए महिलाओं के अधिकार।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : March 06, 2019 15:35 IST
International Women's Day 2019
International Women's Day 2019

International Women's Day 2019: 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस  मनाया जाएगा। हर साल की तरह इस बार भी थीम है। जो कि Balanceforbetter है महिलाओं को अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए प्रोत्साहित करना। अगर जब अधिकारों की बात हो रही है तो जानें आप भी आखिर क्या है भारत के संविधान में दिए हुए महिलाओं के अधिकार।

समान सैलरी का अधिकार

समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात सैलरी या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता। इसलिए पुरुषों के बराबर महिलाओं को सैलरी देना अनिवार्य है।

काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार
काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है। (International Women's Day 2019: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इस बार थीम है 'Balance for Better')

नाम न छापने का अधिकार
अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न की शिकार है। जो उसके पास नाम न छापने देने का अधिकार है। अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है।

घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
ये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है। इस अधिकार के तहत आप या आपके द्वारा कोई शिकायत दर्ज करा सकता है। (International Women's Day: जानें आखिर 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है महिला दिवस)

मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार
मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं बल्कि ये उनका अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 12 सप्ताह(तीन महीने) तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं।

रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार
एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है।

गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार
किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो, उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।

प्रॉपर्टी पर अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है।
 
कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार
भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार- 'जीने के अधिकार' का अनुभव करने दें। गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक(लिंग चयन पर रोक) अधिनियम (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।

मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार
रेप की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है। स्टेशन हाउस आफिसर(SHO) के लिए ये ज़रूरी है कि वो विधिक सेवाप्राधिकरण(Legal Services Authority) को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे।

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