हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस बार गुरु नानक जयंती 30 नवबंर को सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के नाम से भी मनाया जाता है। गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु हैं। नानक जी बालपन से ही सत्संग और चिंतन में लगे रहे। ये हमेशा लोगों से कहते थे 'सब तेरा है क्या मेरा है'। यानी सब कुछ उस परमात्मा है। इन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों के हित के लिए समर्पित कर दिया। इनके द्वारा दी गई सीख आज भी लोगों के लिए प्रेरणादायक है। जानिए गुरु पर्व का महत्व, इस दिन को किस तरह मनाया जाता है और गुरु नानक देव की प्रमुख शिक्षाएं।
गुरु नानक देव से जुड़ी दिलचस्प बातें
सिखों के प्रथम गुरु नानक देव का जन्म 30 नवंबर 1469 को पंजाब क्षेत्र में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी गांव के एक हिंदू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कल्याण और मां का नाम तृप्ती देवी थी। महज 16 वर्ष की आयु में गुरु नानक देव का विवाह गुरुदासपुर जिले के लाखौकी की रहने वाली कन्या सुलक्खनी के साथ हुआ था। गुरु नानक देव के दो पुत्र हुए एक का नाम श्रीचंद और दूसरे का नाम लख्मी चंद था। दोनों पुत्रों के जन्म के बाद ही गुरु नानक देव अपने चार साथियों के साथ घर से निकल गए थे और घूम घूम कर उपदेश देने लगे थे। इन्होंने तीन यात्रातक्र पूरे किए जिसमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य स्थान शामिल थे।
गुरु नानक देव ने समाज से बुराइयां दूर करने का भी काम किया। इनका हमेशा कहना था कि ईश्वर हमारे अंदर है। अपने इन्हीं विचारों के द्वारा गुरु नानक जी ने समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास किया। गुरु नानक देव जी ने ही करतारपुर नामक स्थान बसाया था। इनकी मृत्यु 22 सितंबर 1539 को हुई थी।
जानिए कैसे मनाई जाती है गुरु नानक जयंती
गुरु नानक देव के जन्मदिवस को गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन को देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु सच्चे मन से मत्था टेकने गुरुद्वारे जाते हैं और गुरु नानक देव का आशीष लेते हैं। इस दिन सिख धर्म के लोग सभाओं का आयोजन करते हैं साथ ही गुरु नानक देव की प्रेरणादायक शिक्षाओं के बारे में भी बताते हैं। इसके साथ ही कुछ श्रद्धालु अपने घरों में अखंड पाठ भी कराते हैं।
गुरु नानक देव की शिक्षाएं
- गुरु नानक देव का मानना था कि ईश्वर एक है। दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए। बिना गुरु के कोई भी व्यक्ति दूसरे किनारे तक नहीं जा सका। सच्चा धार्मिक व्यक्ति वही है जो सभी लोगों का समान रूप से सम्मान करें।
- गुरु नानन देव ने ही 'इक ओंकार' का नारा दिया यानी कि ईश्वर एक है। वह सभी जगह मौजूद है। हम सबका पिता वही है। सभी को एक साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।