Sunday, December 22, 2024
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Ganesh Chaturthi 2020: क्यों हर तस्वीर और मूर्ति में गणेश जी का दिखता है टूटा हुआ दांत, जानें इसके पीछे की कहानी

भगवान गणेश को कई नामों से पुकारा जाता है। मंगलमूर्ति, विघ्नहर्ता, गजानन और एकदंत। लेकिन क्या आपको पता है गणेश जी को एकदंत क्यों कहा जाता है। आज हम आपको गणेश जी के टूटे दांत और उनके एकदंत नाम से क्यों पुकारा जाता है इसकी कथा बताते हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : August 24, 2020 7:32 IST
Lord Ganesha
Image Source : INSTAGRAM/VIRTUALPIXEL01 Lord Ganesha 

गणेशोत्सव से चारों तरफ का माहौल खुशनुमा है। भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसी वजह से किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले सबसे पहले इन्हीं की पूजा की जाती है। भगवान गणेश को कई नामों से पुकारा जाता है। मंगलमूर्ति, विघ्नहर्ता, गजानन और एकदंत। लेकिन क्या आपको पता है गणेश जी को एकदंत क्यों कहा जाता है।

आखिर गणेश जी की हर मूर्ति में उनका एक दांत क्यों टूटा हुआ दिखाई देता है। अगर आप ये सोच रहे हैं कि ये ऐसे ही है तो आप बिल्कुल गलत हैं। क्योंकि भगवान गणेश के इस टूटे हुए दांत के पीछे एक कहानी है। आज हम आपको गणेश जी के टूटे दांत और उनके एकदंत नाम से क्यों पुकारा जाता है इसकी कथा बताते हैं।

दरअसल, एक बार शिव जी के परमभक्त परशुराम भोलेनाथ से मिलने आए। जिस वक्त परशुराम जी कैलाश पर आए तब भोलेनाथ ध्यान में थे। तभी गणेश जी ने परशुराम को शिव जी से मिलने से रोका। परशुराम ने भगवान गणेश को कहा कि वो भोलेनाथ से मिले बगैर यहां से नहीं जाएंगे। गणेश जी ने परशुराम से अपनी बात कई बार कही लेकिन परशुराम नहीं माने। 

परशुराम क्रोधित हो गए। इसके बाद उन्होंने गणपति को युद्ध के लिए ललकारा। गणेश जी को उनके साथ युद्ध करना पड़ा। परशुराम का हर प्रहार गणपति पर विफल रहा। ऐसा होता देख परशुराम बहुत क्रोधित हो गए और शिव जी के दिए गए परशु से उन पर प्रहार कर दिया। गणेश जी ने पिता भोलेनाथ के दिए इस परशु का आदर करते हुए पलटवार नहीं किया। परशुराम के इसी प्रहार से गणपति का एक दांत टूट गया।

गणेश जी का जैसा ही एक दांत टूटा तो उन्हें पीड़ा हुई। पुत्र की इस पीड़ा की आवाज सुन माता पार्वती आईं और क्रोधित हो गई। माता पार्वती तुरंत दुर्गा के अवतार में आ गई। ऐसा देख परशुराम को ये समझ में आ गया कि उनसे भूल हो गई है। वो माता से क्षमा याचना करने लगे। परशुराम ने गणेश जी की विनम्रता की सराहना की। इसके साथ ही गणेश जी को तेज, बल, कौशल और ज्ञान का आशीर्वाद दिया। तभी से भगवान गणेश का नाम एकदंत पड़ा।

इस तरह से गणेश जी की शिक्षा विष्णु भगवान के अवतार परशुराम से हुई। अपने इसी टूटे दांत के साथ गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास की महाभारत को लिखा।

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