इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ईद-उल-अज़हा 12वें महीने की 10 तारीख को मनाई जाती है। इस्लाम मजहब में इस माह की बहुत अहमियत है। इसी महीने में हज यात्रा भी की जाती है। ईद-उल-फित्र की तरह ईद-उल-अज़हा पर भी लोग सुबह जल्दी उठ कर नहा धोकर साफ कपड़े पहनते हैं और मस्जिदों में जाकर नमाज़ अदा करते हैं। साथ ही इस दौरान मुल्क और लोगों की सलामती की दुआ मांगते हैं। ईद के इस मुबारक मौके पर लोग गिले-शिकवे भुला कर एक-दूसरे के घर जाते हैं और ईद की मुबारकबाद देते हैं। वहीं इस ईद पर कुर्बानी देने की खास परंपरा है।
समंदर को उसका किनारा मुबारक
चांद को सितारा मुबारक
फूलों को उसकी खुश्बू मुबारक
दिल को उसका दिलदार मुबारक
आपको और आपके परिवार को
ईद का त्योहार मुबारक
खुशियों की शाम और यादों का ये समां,
अपनी पलकों पे हरगिज़ सितारे न लाएंगे
रखना संभाल कर चंद खुशियां मेरे लिए
मैं लौट आऊंगा तो ईद मनाएंगे
मुबारक़ मौक़ा अल्लाह ने अता फरमाया
एक बार फिर बंदगी की राह पे चलाया
अदा करना अपना फर्ज़ तुम ख़ुदा के लिए
खुशी से भरी हो ईद-उल-अजहा आपके लिए
हवा को खुशबू मुबारक
फिज़ा को मौसम मुबारक
दिलों को प्यार मुबारक
आपको हमारी तरफ से बकरीद मुबारक
Happy Bakrid
रात को नया चांद मुबारक
चांद को चांदनी मुबारक
फलक को सितारे मुबारक
सितारों को बुलन्दी मुबारक
और आपको हमारी तरफ से बकरीद मुबारक
Happy Eid-ul-Adha
सूरज की किरणें तारों की बहार
चांद की चांदनी अपनों का प्यार
हर घड़ी हो खुशहाल
उसी तरह मुबारक हो आपको बकरीद का त्योहार
Happy Eid-ul-Adha
दीपक में अगर नूर न होता, तन्हा दिल यूं मजबूर न होता
मैं आपको ‘ईद मुबारक़’ कहने ज़रूर आता
अगर आपका घर इतना दूर न होता
ईद मुबारक