Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. फीचर
  4. हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार नामवर सिंह का निधन, प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक

हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार नामवर सिंह का निधन, प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक

देश के प्रख्यात और हिंदी साहित्य के आलोचक नामवर सिंह का मंगलवार की रात निधन हो गया। 92 साल के नामवर जी ने आखिरी सांस AIIMS हॉस्पिटल में ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामवर जी की मौत की खबर सुनते ही शोक जताया साथ ही उन्होंने कहा कि 'हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : February 20, 2019 12:20 IST
नामवर सिंह
नामवर सिंह

नई दिल्ली: देश के प्रख्यात और हिंदी साहित्य के आलोचक नामवर सिंह का मंगलवार की रात निधन हो गया। 92 साल के नामवर जी ने आखिरी सांस AIIMS हॉस्पिटल में ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामवर जी की मौत की खबर सुनते ही शोक जताया साथ ही उन्होंने कहा कि 'हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी। ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए ​अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे।

गौरतलब है कि नामवर सिंह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। जनवरी में वे अचानक अपने रूम में गिर गए थे। इसके बाद उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया गया था। यहीं उनका इलाज चल रहा था। गौरतलब है कि नामवर सिंह का जन्म बनारस के जीयनपुर गांव में हुआ था। हिंदी में आलोचना विधा को नई पहचान देने वाले नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य में एमए व पीएचडी करने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाया। इसके बाद वे दिल्ली आ गए थे। यहां उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भारतीय भाषा केंद्री की स्थापना की और हिंदी साहित्य को और ऊंचाई पर ले गए। 

नामवर सिंह  की शख़्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित 'नामवर संग बैठकी' कार्यक्रम में लेखक विश्वनाथ त्रिपाठी ने उन्हें अज्ञेय के बाद हिंदी का सबसे बड़ा 'स्टेट्समैन' कहा था। उस कार्यक्रम में नामवर सिंह के छोटे भाई काशीनाथ सिंह ने कहा था कि हिंदी आलोचकों में भी ऐसी लोकप्रियता किसी को नहीं मिली जैसी नामवरजी को मिली। वहीं लेखक गोपेश्वर सिंह ने कहा था, "नामवर सिंह ने अपने दौर में देश का सर्वोच्च हिंदी विभाग जेएनयू में बनवाया, हमने और हमारी पीढ़ी ने नामवरजी के व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखा है"।  

नामवर सिंह के प्रमुख लेख और संपादन

वे 'आलोचना' त्रैमासिक के प्रधान संपादक रहे और उन्होंने 'जनयुग' साप्ताहिक का संपादन भी किया। साल 1992 से राजा राममोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान के अध्यक्ष रहे।

अध्यापन और लेखन के अलावा उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया था। साल 1959 में वे सक्रिय राजनीति में उतरे और उन्होंने इस साल चकिया-चंदौली सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

आलोचना: बकलम खुद, हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ, छायावाद, पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद।

साक्षात्कार: कहना न होगा
सम्पादित ग्रंथ: कहानी: नई कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परम्परा की खोज, वाद विवाद सम्वाद, कहना न होगा। चिंतामणि भाग-3, रामचन्द्र शुक्ल संचयन, हजारीप्रसाद द्विवेदी:संकलित निबन्ध, आज की हिन्दी कहानी, आधुनिक अध्यापन रूसी कविताएं, नवजागरण के अग्रदूत: बालकृष्ण भट्ट।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Features News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement