नई दिल्ली: आश्विन मास का शारदीय नवरात्र के दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम ने दशानन रावण का वध किया था। साथ ही रावण के राक्षसराज का अंत किया था। इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। इस साल दशहरा 22 अक्टूबर को है।
इसी दिन मां दुर्गा के नवरात्र की नवमी भी है। इस दिन मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन भी किया जाता है। इस पूजन के साथ-साथ प्रभु श्री राम की पूजा और शस्त्रों की भी पूजा की जाती है। जानिए कैसे करें इनकी पूजा और मूर्ति विसर्जन।
ये भी पढ़े- रावण से सीख सकते है जीवन में कौन कौन से काम नही करने चाहिए
मां दुर्गा की विदाई इस दिन बड़े ही धूम-धाम से मनाते है, मां की मूर्ति का विसर्जन करने जा रहे है तो पहले मां को गंध, फूल, चावल, आदि से पूजा करें फिर उनका ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।
रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे।
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।।
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।
इसके बाद बड़ी ही श्रृद्धा से अपने हाथ में फूल और चावल लें और इस मंत्र के साथ मां का विसर्जन करें।
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
मां की मूर्ति के साथ-साथ जिस पात्र में ज्वारा बोया है उसे और साथ में सभी पूजा की सामग्री भी विसर्जित करें, लेकिन इस बात का ध्यान रहें कि ज्वारा को कभी भी विसर्जित नही करना चाहिए, क्योंकि आपने मां की जितनी पूजा की और नौ दिन की पूरी शक्ति उसी ज्वारा में प्रवेश कर जाती है। इसे अपने घर में रखें। आप इसे अपनी तिजोरी में भी रख सकते है, इससे आपको धन लाभ होगा।
ये भी पढ़े- सीता हरण नही और इन वजहों से मारा गया दशानन रावण
अगली स्लाइड में पढ़े शुभ मुहूर्त के और श्री राम की पूजा के बारें में