नई दिल्ली: हिंदू धर्म में कोई भी कार्य किया जाए सबसे पहलें भगवान की अर्चना कर दीपक जलाने की परंपरा है। लेकिन यह क्यो जलाया जाता है। इस बात को बहुत ही कम लोग जानते है। हम किसी भी शुभ कार्य को करने जातें उससे पहलें घर के बडे लोग कहते है कि मंदिर में दीपक जरुर जाला देना। आपका काम शुभ होगा। इस बारें में जानें कितनी मान्यताए है। जो लोगों के मन में फैली हुई है। जानिए पूजा-पाठ में दीपक क्यों जलाया जाता है।
मान्यता है कि अग्नि देव को साक्षी मानकर उसकी मौजूदगी में किए काम जरूर सफल होते हैं। हमारे शरीर की रचना में सहायक पांच तत्वों में से अग्नि भी एक है। दूसरा अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का बदला हुआ रूप है। इसलिए किसी भी देवी- देवता के पूजन के समय ऊर्जा को केंद्रीभूत करने के लिए दीपक प्रज्वलित किया जाता है। दीपक का और भी महत्व बटाया गया है कि प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है। परमात्मा प्रकाश और ज्ञान रूप में ही सब जगह व्याप्त है। ज्ञान प्राप्त करने से अज्ञान रूपी मनोविकार दूर होते हैं और सासारिक शूल मिटते हैं। इसलिए प्रकाश की पूजा को ही परमात्मा की पूजा कहा गया है। मंदिर में आरती करते समय दीपक जलाने के पीछे उद्देश्य यही होता है कि प्रभु हमारा मन प्रकाश की ओर ले चलें। मौत से अमरता की ओर हमें ले चलें। दीपक के प्रकाश से सम्बंधित बातें ऋगवेद में भी मिलती है जो इसके माध्यम बताया गया है।
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