नई दिल्ली: आज तक हम लोग सुनते चले आ रहे है कि माता सीता का हरण रावण कर ले गया था। पुराणों के अनुसार माना जाता है कि रावण को श्राप मिला था कि अगर वो किसी स्त्री को अपने महल या फिर उस स्त्री के बिना अनुमति छुएगा, तो वो वही पर भस्म हो जाएगा। इस बात पर कितनी सच्चाई थी। इसमें क्या रहस्य है।
इस रहस्य को महर्षि वाल्मीकि की रचित रामायण व गोस्वामी तुलसी की रचित रामचरित मानस में इस बात को स्पष्ट रूप से बताया गया है।
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इन धर्म ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि रावण सीता मां का हरण करना तो दूर उन्हें छू भी नही सकता था। इसीलिए जिस समय रावण ने सीता का हरण किया उस समय सीता का वास्तविक रूप न होकर केवल उनकी छाया थी। जानिए क्या सच में सीता माता का हरण रावण ने किया था कि नही।
इस रहस्य के बारें में रामचरितमानस में लिखी इस चौपाई से साफ होता है कि सच क्या था-
तब तक करो अग्नि में वासा।
जब तक करुं निशाचर नाशा॥
इसका मतलब है कि जब श्री राम वनवास में थे। तो जब लक्ष्मण वन से लकड़ी लेने गए। इशके बाद श्री राम ने माता सीता से कहा कि हे सीते अब वो वक्त आ गया है कि तुम एक साल के लिए आग में निवास करों। तब मैं इस राक्षस का संहार करूंगा। माना जाता है कि श्री राम को यह पहले से पता था कि रावण आने वाला है।
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