नई दिल्ली: आज से श्राद्ध से शुरू हो गए है। पूर्णिमा के दिन पहला श्राद्ध होगा यानि की 27 सितंबर की दोपहर से शुरु हो जाएगा और आखिरी श्राद्ध 12 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगा। वैसे तो हर माह की अमावस्या को पितरों का कहा गया है,लेकिन अश्विनी मास कृष्ण पक्ष को विशेष माना गया है पितरों के लिए। इस पक्ष में पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस बारें में सोलह विधियां कही गई है । जिसका उल्लेख हमारें ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। जानिए श्राद्ध का महत्व क्या है। इसे कब और कैसे करना चाहिए।यें भी पढें:( इष्टदेव को इतनी बत्ती वाला दीपक जलाकर करे प्रसन्न)
श्राद्ध में जो दान हम अपने पूर्वजों को देते है वो श्राद्ध कहलाता है। जो जिस दिन इस संसार से मुक्ति पाता है उसी दिन उसका श्राद्ध किया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को दान-पुण्य किया जाता है। जिससे प्रसन्न होकर पूर्वज आपको मनचाहा वरदान देते है। इस बारें हरवंश पुराण में बताया गया है कि भीष्म पितामह ने युधिष्टर को बताया था कि श्राद्ध करने वाला व्यक्ति दोनों लोकों में सुख प्राप्त करता है। श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितर धर्म को चाहनें वालों को धर्म, संतान को चाहनें वाले को संतान, कल्याण चाहने वाले को कल्याण जैसे इच्छानुसार वरदान देते है।
जानिए, किस व्यक्ति का किस दिन करें श्राद्ध
यूं तो सभी जानते है कि व्यक्ति की मृत्यु के दिन ही उसका श्राद्ध किया जाता है, लेकिन आपको अपनी खबर में बता रहे हा कि किस दिन किसका श्राद्ध करना चाहिए।
- दादी और नानी का श्राद्ध आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा के दिन करने का विधान है।
- सौभाग्यवती स्त्री का श्राद्ध नवमी के दिन किया जाता है।
- कभी- कभी ऐसा होता है कि हमें अपने पूर्वज की मृत्यु का दिन नही पता होता तो वह श्राद्ध अमावस्या के दिन करें,क्योंकि इस दिन सर्वपितृ अमावस्या होती है।
- किसी दुर्घटना में मरें व्यक्ति का श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है।
- संन्यासी व्यक्ति का श्राद्ध द्वादशी के दिन किया जाता है।
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