Wednesday, November 06, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. फैशन और सौंदर्य
  4. नवरात्र के पहले दिन ऐसे करें शैलपुत्री की पूजा, जानिए मुहूर्त

नवरात्र के पहले दिन ऐसे करें शैलपुत्री की पूजा, जानिए मुहूर्त

नई दिल्ली: नवरात्र यानि की दुर्गा पूजा के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। वैसे तो साल में दो बार नवरात्र आते है। एक तो चैत्र मास में और दूसरा आश्विन मास

India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 14, 2015 17:05 IST

india TV

शैलपुत्री पूजन विधि

नवरात्रि में दुर्गा को मातृ शक्ति, करूणा की देवी मानकर पूजा करते है। इसलिए इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और कलश में उन्हें विराजने हेतु प्रार्थना और उनका आहवान किया जाता है। नवरात्र में पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है। कलश स्थापना के लिए सबसे पहलें स्थापित की जानें वाली जगह को शुद्ध करें, लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि कलश लोहे या स्टील का न हो।

यह मिट्टी, तांबा, चांदी, सोना या पीतल का होना चाहिए। इसके बाद कलश के ऊपर रोली से ऊं और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। कलश में सप्तमृतिका यानि की सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी, भेट पांच प्रकार के पल्लव से कलश को सुशोभित किया जाता है। इसके बाद इस कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज और जौ बोये जाते हैं जिन्हें दशमी तिथि को काटा जाता है और इससे सभी देवी-देवता की पूजा होती है। इसके बाद इस कलश को पूर्व दिशा की ओर किसी सुरक्षित जगह में इस मंत्र के साथ स्थापित कर दें।

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥

इसके बाद सबसे पहले भगवान विष्णु का नाम लेकर अपने ऊपर जल छिड़के और फिर आचमन आदि करके ऊं भूम्यै नम: कहते हुए घरती को स्पर्श करें। इसके बाद गणेश को याद करके दक्षिण-पूर्व की दिशा की ओर घी का दीपक जलातें हुए इस मंत्र को पढ़े-

ऊं दीपो ज्योति: परब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्नद:। दीपो हरतु मे पापं पूजा दीपनमोस्तु ते।  

फिर देवी दुर्गा की प्रतिमा पूजा स्थल पर बीच में स्थापित की जाती है और उनके दोनों तरफ यानी दाई ओर देवी महालक्ष्मी, गणेश और विजया नामक योगिनी की प्रतिमा रहती है और बाई ओर कार्तिकेय, देवी महासरस्वती और जया नामक योगिनी रहती है तथा भगवान भोले नाथ की भी पूजा की जाती है। प्रथम पूजन के दिन “शैलपुत्री” के रूप में भगवती दुर्गा दुर्गतिनाशिनी की पूजा फूल, अक्षत, रोली, चंदन से होती है
कलश स्थापना के पश्चात देवी दुर्गा जिन्होंने दुर्गम नामक प्रलयंकारी असुर का संहार कर अपने भक्तों को उसके त्रास से यानी पीड़ा से मुक्त कराया उस देवी का आह्वान करें। साथ ही रोज शाम कोदेवी की आरती करनी चाहिए।

ये भी पढ़े- अगर घर पर तुलसी, तो ध्यान रखिए ये बातें

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Fashion and beauty tips News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement