नई दिल्ली: दुनिया की ग्लैमर इंडस्ट्री ने खूबसूरती के मायने बदले...चेहरे बदले, लेकिन अगर सच कहें तो खूबसूरती अपना असल वजूद खो चुकी है। आर्टीफीशियल हो चुकी चमड़ी अब नैचुरल लुक में भी सादगीपन को दिखा नहीं पाती। लड़कियां भी अब अपने चेहरे पर खूबसूरती का टैग लगाने की तड़प में आर्टीफिशियल बाजार में खोई खोई सी रहती हैं। लेकिन अगर सच कहा जाए तो बाजारवाद की अंधी दौड़ में खूबसूरती नाम का लफ्ज आम लोगों से अनजान है। अगर आप भी जानना चाहते है कि क्या होती है खूबसूरती तो जानिए।
खूबसूरती का मतलब होता है, “किसी बेपनाह खूबसूरती का तिलिस्म किसी साबुन, क्रीम या लोशन में कैद नहीं वो तुम्हारे अंदर है जिसका एक नाम है... खुशी। अक्सर सिखाया जाता है कि हमें वही करना चाहिए जो हमें यानी खुद को सकून दे खुशी दे। इश्क आज भी पाक है। प्राकृतिक चीजों से प्रेम करों, लड़ो अपनी सही सोच के लिए ताकि आप अपनी जंग जीत सको। खुल के रोने को दवा समझो, खुद के लिए झुकना भी सीखो। सफर करों नजर बदलो, दिल में कोई गिल्ट मत रखो क्योंकि यह बेइमानी है। पंख पसारो आजादी का मतलब सीखो। कभी दूसरों की खुशी में अपनी खुशी को ढूंढना सीखो। खूबसूरती जिस्म में नहीं रूह में बसती है।”
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