Wednesday, November 27, 2024
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सावन में बम बम भोले के साथ बढ़ जाती है गंगा की महिमा

नई दिल्ली: सावन के महीने में मां गंगा का महत्व भी काफी बढ़ जाता है। सावन के पावन माह में भोलेनाथ यानी भगवान शिव की पूजा की जाती है और गंगा शिव की जटाओं से

India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 20, 2015 6:48 IST

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इस श्लोक के पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है जो इस प्रकार है। जब धरती में हर जगह सूखा पड़ गया था। लोगों को पीने तक को पानी नही मिल पा रहा था जिसके कारण लोग धीरे-धीरे मौत की आगोश में समाते जा रहे थे। साथ ही किसी नदी में पानी न हो की वजह से उनके पूर्वज एक ब्राह्मण के श्रापवश भस्म हो गए थे और उनकी राख वहीं पड़ी थी जिससे उनकी आत्मा तृप्त नहीं हुई जिससे उनकी आत्मा इधर-उधर भटक रही थी। यह स्थिति राजा दिलीप के पुत्र भगीरथ से देखी नही गई जिसके कारण उन्होंने गंगा मां को धरती में लाने की प्रतिज्ञा की। जब भागीरथ में गंगा मां को पृथ्वी पर लाने के लिए उनसे प्रार्थना की तो गंगा ने कहा कि मैं पृथ्वी पर नहीं जाऊंगी क्योंकि मेरे चलने का रास्ता कहां है और यदि मुझे रास्ता नहीं मिला तो मैं पृथ्वी को फोड़कर पाताल में चली जाउंगी। दूसरी बात, पृथ्वी पर इतने पापी हैं वो सब आकर अपने पाप  मुझमें धोते रहेंगे।

तब भगीरथ ने भगवान शिव से प्रार्थना की और बहुत लंबे समय तक घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और भगवान शिव ने भगीरथ से वरदान मांगने को कहा। तब भगीरथ ने कहा कि हे भगवान! मैं अपने पूर्वजों को जो की एक ब्राह्मण के श्रापवश भस्म हो गए हैं, तारने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाना चाहता हूं। हे प्रभु! उनके वेग को आप ही सम्भाल सकते हैं।" भगवान भोलेनाथ ने 'तथास्तु' कह दिया। इसके बाद गंगा मां हर-हर करती हुई बड़े वेग के साथ पृथ्वी पर उतरीं। तब भगवान भोलेनाथ ने उनको अपने सर पर जगह दी। एक तो गंगा मां स्वयं पवित्र फिर ब्रह्मा जी का स्पर्श फिर ब्रह्म कमण्डल से चल कर शिव चरणों का स्पर्श किया तो गंगा और भी पवित्र हो गईं। भोलेनाथ ने कहा कि गंगा अब तुम पृथ्वी पर जाओ,जो भी पापी आकर तुम्हारा स्पर्श करेंगे उनके सभी पाप धुल जाएंगे तब गंगा मां पृथ्वी पर आई और भागीरथ के पूर्वजों को तृप्त करने के लिए गंगा सागर तक जा पहुचीं। जहां उनकी राख पड़ी हुई थी और गंगा में तर गई।
 
जब मृत्यु के बाद राख भी गंगा का स्पर्श कर ले तब भी प्राणी तर जाता है। संसार में ब्रह्मा,विष्णु, महेश(शिव) तीनों ही देवताओं की महिमा तरह-तरह से संत महात्मा गाते हैं। उसको सुनकर कहा जाता है कि मनुष्य भव सागर से ही तर जाता है फिर गंगा मां तो तीनो का स्पर्श करके पृथ्वी पर आई हैं।

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