नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है इसकी एक पौराणिक कथा है जो निम्न प्रकार है। मणिपुर में एक किसान आपनी पत्नी दो बेटे और एक बेटी के साथ रहता था। किसान एक दिन खेत हल से जोत रहा था जोतते समय उसके हल से नाग के तीन बच्चें मर गए। नागिन विलाप करती हुई उसनें गुस्से में ठान लिया कि वह अपने बच्चों की मौत का बदला किसान से लेगी और उसी रात उसनें किसान, उसकी पत्नी और दोनों बेटों को डस कर मार डाला। अगले दिन बची हुई किसान की बेटी को डसनें की इच्छा से फिर किसान के घर आई तो किसान की बेटी नें उसके सामनें दूध से भरा कटोरा रख किया, साथ ही साथ ही जोड़ कर क्षमा मांगनें लगी। जिससे नागिन खुश हो गई औऱ उसे वर देते हुए उसके माता-पिता औऱ दोनों भाइयों को दुबारा जिंदा कर दिया और नागिन ने कहा कि जो आज के दिन नाग की पूजा करेगा उसे नाग कभी नही डसेगा। जिस दिन यह सब हुआ उस दिन श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। तब से आज तक नागों के गुस्सें से बचनें के लिए इस दिन नागों की पूजा होती है। इनकी पूजा करनें से संतान की भी प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है।
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