नई दिल्ली: श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। वैसे तो हर पंचमी पर नागों की पूजा होती है पर सावन के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पंचमी को विशेष तौर पर मनाया जाता है। इस साल पंचमी दो दिन की पड़ रही है 19 अगस्त दिन बुधवार और 20 अगस्त दिन गुरुवार। इन दोनो ही दिन पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि 19 अगस्त के दिन सर्वसिद्ध योग्य भी है। इस दिन कोई भी पूजा करने पर या जप करने पर विशेष लाभ होता है। असल में इस दिन भगवान शिव की पूजा की ही जाती है, क्योंकि उन्होनें अपने गलें में वासुकि नाग धारण कर रखा है। इस दिन नौ नागों की पूजा का विशेष महत्व है इसमें वासुकि, तक्षक, कालिय, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कंर्कोट, तथा धनन्जय और शेष नागों की पूजा विशेष लाभ दायक है। ऐसा गरुरपुराण के 129 वें अध्याय में लिखा गया है।
नाग पंचमी कैसे मनायी जाती है
नागपंचमी को शिव की पूजा के साथ-साथ नाग देवता के लिए अपने धर में कच्चा दूध रखा जाता है क्योंकि नाग ठंडा भोजन ग्रहण करते है, साथ ही घर के दरवाजें के दोनों ओर गोबर से नाग का चित्र बनाया जाता है। सपेरे जगह-जगह पर नागों को लेकर दरवाजों पर आते हैं और लोग श्रृध्दा के साथ नागों को दूध पिलाते हैं। ऐसा मानना है कि इस दिन नागों की पूजा करने से मुक्ति तो प्राप्त होती ही है साथ में पितृगण भी खुश होते हैं कई लोग इस दिन कच्ची मिट्टी के बर्तन में दूध लेकर पीपल के वृक्ष के नीचे अर्पण करते हैं। ऐसा गरुणपुराण के अध्याय 69 में श्री हरि ने बताई है।
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