नई दिल्ली: भारतीय डिजाइनर रुचिका सचदेवा ने यहां निर्णायकों के सामने रिसाइकलिंग के पुरानी तकनीक के साथ फैशन में उपभोक्ताओं के वेस्ट मटीरियल के मसले को अनोखे तरीके से रखते हुए उन्हें प्रभावित कर वीमेंसवेयर 2017/2018 का अंतर्राष्ट्रीय वुलमार्क पुरस्कार जीत लिया है। अपनी जीत से उत्साहित रुचिका ने एक बयान में कहा, "मैं जिस पर काम कर रही हूं, उसका विस्तार करने और उसे जारी रखने का यह बड़ा मौका है।"
रुचिका के बोडाइस लेबल के महिला परिधान संग्रह को यहां बुधवार को विजेता घोषित किया गया और उनकी तकनीक और बनाने की प्रक्रिया की खासतौर से सराहना की गई।
बयान के मुताबिक, अपनी दादी से प्रेरित होकर, जो रजाई में साड़ियों का इस्तेमाल करती थीं, रुचिका ने बुनकरों के साथ सहयोग करते हुए उन्हें परंपरागत तकनीक के प्रति अपरंपरागत नजरिया अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया और आस्ट्रेलियाई मेरिनो ऊन और भारतीय कारीगरों की सहायता से एक शानदार परिधान संग्रह तैयार किया।
बोडाइस मध्य भारत के सावंतवाडी में बायो-डाई के साथ भी काम करता है, जो सभी रंग प्राकृतिक स्रोतों से बनाता है।
पुरस्कार के विजेता का चयन करने वाले निर्णायक मंडल में अंबर वैलेट्टा, एलिडाबेथ वोम गुट्टमैन, इमैनुएल फर्नेटी, जूली डेविस, लिविया फर्थ, लिया केबेडे, मिरोस्लावा डुमा, नोनिता कालरा, फिलिप लिम, रिकॉडरे वैनेट्टी, सारा मोवर और स्टुअर्ट मैकलु अंतर्राष्ट्रीय वुलमार्क पुरस्कार के रिटेल पार्टनर नेटवर्क के प्रतिनिधियों के साथ शामिल थे।
वीमेंसवेयर डिजाइनर फिलिप लिम को बोडाइस का संग्रह 'पूरी तरह से विचारशील' लगा।
पुरुष परिधान की श्रेणी में ब्रिटिश आइल्स के मैथ्यू मिलर ने बाजी मारी, वहीं अमेरिका स्थित फैशन ब्रांड डाएन को इनाग्रल इनोवेशन का विजेता घोषित किया गया।