गंजो के लिये ख़ुश ख़बरी है। एक नये रिसर्च से पता चला है कि गंजों के ही ख़ून से जेल (gel) बनाकर उनका गंजापन दूर किया जा सकता है।
रिसर्च के अनुसार गंजेपन के इलाज के लिये मरीज़ की बाह से पहले ख़ून निकालकर उसका जेल बनाया जाता है जिसे इंजेक्शन के ज़रिये मरीज़ की खोपड़ी में डाला जाता है। इस जेल में प्लैटलेट से भरपूर प्लाज़मा (PRP) होता जो बाल बढ़ने में सहायक होता है।
प्लाज़मा बनाने के लिये मरीज़ के हाथ से थोड़ा ख़ून निकाला जाता है और फिर उसे मशीन में प्रोसेस किया जाता है। इसे मशीन में तब तक तेज़ी से घुमाया जाता है जब तक कि ख़ून से विभिन्न घटक अलग न हो जाएं।
ख़ून पीले से रंग के द्रव्य से बनता है जिसे प्लाज़मा कहते हैं लेकिन इसमें रेड सेल्स, व्हाइट सेल्स और प्लैटलेट्स भी होते हैं।
माना जाता है कि प्लाज़मा और प्लैटलेट्स सेल बनने में मदद करते हैं। स्नायु (tendon) की चो़ और जलने पर भी प्लैटलेट्स से भरपूर प्लाज़मा से इलाज किया जाता है।
अब अमेरिकी शोधकर्ता गंजेपन (androgenetic alopecia) के इलाज के लिये इस नये तरीका का परीक्षण कर रहे हैं। पचास से ज़्यादा की उम्र वाले आधे पुरुष और 65 से ज़्यादा की उम्र वाली आदी महिलाएं इस तरह के गंजेपन की मरीज़ होती हैं। इस बीमारी से बाल पतले होने लगते हैं।
इस समय गंजेपन के इलाज के लिये कई तरीके अपनाए जाते हैं जिसमें minoxidil भी शामिल है। ये एक तरह का सोल्यूशन होता है जिसे खोपड़ी पर लगाया जाता है। इससे आंशिक रुप से बाल बढ़ जाते हैं। लेकिन ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ़ डरमेटोलॉजिस्ट के अनुसार minoxidil से बस तब तक ही बाल रहते हैं जब तक मरीज़ इसे लगाता रहता है। बंद करने पर वो फिर गंजा हो जाता है।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में 50 मरीज़ों पर PRP का प्रयोग किया जाएगा। इस इलाज की सबसे अच्ची बात ये है कि ख़ून निकालने के दस मिनट बाद ही प्लाज़मा खोपड़ी में इंजेक्शन से डाला जा सकता है।