किसके बांधनी चाहिए राखी
श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने से इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा। पुराणों के अनुसार आप जिसकी भी रक्षा एवं उन्नति की इच्छा रखते हैं उसे रक्षा सूत्र यानी राखी बांध सकते हैं, चाहें वह किसी भी रिश्ते में हो।
क्यों मनाया जाता है राखी का त्यौहार-
इस त्योहार की पीछे कई पौराणिक कथाएं सदियों से चली आ रही हैं। कोई इसे भगवान के काल से बताता तो कोई राजा-महाराजाओं के काल से। रक्षा बंधन का उल्लेख हमारी पौराणिक कथाओं व महाभारत में मिलता है।
रक्षाबंधन की पौराणिक कथा के बारें में जानकारी इस श्लोक में मिलती है।
येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे! मा चल! मा चल!!’
इसका मतलब है कि जब एक सौ 100 यज्ञ पूर्ण कर लेने पर दानवेन्द्र राजा बलि के मन में स्वर्ग का प्राप्ति की इच्छा बलवती हो गई तो इन्द्र का सिंहासन डोलने लगा। तब इन्द्र और सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की। तब भगवान ने वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण कर लिया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए फिर भगवान ने भिक्षा में बलि से तीन पग भूमि मांग ली। लेकिन बलि के गु्रु शुक्रदेव ने ब्राह्मण रुप धारण किए हुए विष्णु को पहचान लिया और बलि को इस बारे में सावधान कर दिया किंतु दानवेन्द्र राजा बलि अपने वचन से न फिरे और तीन पग भूमि दान कर दी।
वामन रूप में भगवान ने एक पग में स्वर्ग और दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया। तीसरा पैर कहां रखें? बलि के सामने संकट उत्पन्न हो गया। यदि वह अपना वचन नहीं निभाता तो अधर्म होता। आखिरकार उसने अपना सिर भगवान के आगे कर दिया और कहा तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए। वामन भगवान ने वैसा ही किया। पैर रखते ही वह रसातल लोक में पहुंच गया।
जब बलि रसातल में चला गया तब बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया और भगवान विष्णु को उनका द्वारपाल बनना पड़ा। भगवान के रसातल निवास से परेशान लक्ष्मी जी ने सोचा कि यदि स्वामी रसातल में द्वारपाल बन कर निवास करेंगे तो बैकुंठ लोक का क्या होगा? इस समस्या के समाधान के लिए लक्ष्मी जी को नारद जी ने एक उपाय सुझाया। लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे रेशम का एक धागा बांधकर अपना भाई बनाया और उपहार स्वरुप अपने पति भगवान विष्णु को अपने साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी इसलिए तब से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।