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इंडियन डिजाइनर्स को खुद को करना है साबित, तो जाएं इस लाइन पर: सब्यासाची

नई दिल्ली: दिग्गज फैशन डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी का कहना है कि भारत में संगठित खुदरा क्षेत्र की स्थिति अभी भी बेहद खराब है और इसलिए डिजाइनर दुल्हनों के कपड़े डिजाइन कर अपना कद और कारोबार दोनों बढ़ाने की कोशिश करते हैं।

IANS
Updated on: November 25, 2016 17:19 IST
sabyasachi- India TV Hindi
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नई दिल्ली: दिग्गज फैशन डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी का कहना है कि भारत में संगठित खुदरा क्षेत्र की स्थिति अभी भी बेहद खराब है और इसलिए डिजाइनर दुल्हनों के कपड़े डिजाइन कर अपना कद और कारोबार दोनों बढ़ाने की कोशिश करते हैं।

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एनडीटीवी 'गुड टाइम्स' पर प्रसारित होने वाले शो 'बैंड बाजा बारात' में दुल्हनों को फैशन से संबंधित सलाह देने वाले डिजाइनर कहते है कि व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए दुल्हनों के कपड़ों का बाजार काफी मायने रखता है।

आधुनिक दौर में भारतीय वस्त्रों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाले डिजाइनर ने ई-मेल के जरिए दिए साक्षात्कार में बताया, "भारत में संगठित खुदरा क्षेत्र की स्थिति अभी भी खराब है और कार्पोरेट के निवेश को जांचा-परखा जा रहा है, इसलिए भारतीय डिजाइनरों के पास अपने कद और व्यापार को बढ़ाने के लिए दुल्हनों के परिधानों का बाजार ही इकलौता विकल्प रह जाता है।"

उन्होंेने कहा कि पिछले कुछ सालों में दुल्हन के कपड़ों के बाजार का बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है। डिजाइनर का कहना है कि दुल्हन के कपड़ों के बाजार से कई मिथक भी जुड़े हुए हैं और वह अपने शो के जरिए दर्शकों के हर भ्रम को दूर करना चाहते हैं।

मुखर्जी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल 'मेक इन इंडिया' (भारत में निर्माण) से लोगों की धारणा में बदलाव आया है और अब खादी उत्साह और गर्व का प्रतीक बन चुका है।

पिछले दो दशक से ज्यादा समय से फैशन उद्योग से जुड़े मुखर्जी ने शबाना आजमी, रेनी जेल्वेगर, रीज विदरस्पून, ऐश्वर्या राय बच्चन, तब्बू, सुष्मिता सेन और करीना कपूर खान जैसा हस्तियों को अपने परिधानों से सजाया है। आम लोग भी उनके डिजाइनर लेबल के कपड़े खरीद सकते हैं।

डिजाइनर खादी पर्यावरण के अनुकूल, टिकाऊ और दोनों वर्गो के लिए उपयुक्त मानते हैं। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक में खादी से बना दुल्हनों का हर लहंगा आसानी से बिक गया था।

उन्होंने शाही कपड़ों को खादी से जोड़ते हुए कहा कि राजशाही संस्कृति है। डिजाइनर कहते हैं कि जो लोग अमीर हैं और संस्कृति से जुड़ना चाहते हैं उनके लिए खादी उपयुक्त है।

सब्यसाची मुखर्जी फैशन के बजाय नई स्टाइल पर ध्यान केंद्रित करने वाले युवाओं की प्रशंसा करते हैं। वह एक रेस्तरां भी खोलना चाहते हैं, जिसमें भारतीय व्यंजनों का लुत्फ लिया सकेगा।

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