शालिनी आगे बोली सबको ऐसे समझाना पड़ रहा था जैसे हम शादी नहीं कोई किला खरीद रहे हैं और जिसके माप के लिए हर चीज में हमें खरा उतरना था। बड़ी जद्दोजहद के बाद शालिनी ने अपनी फैमिली से किसी तरह बात की। उनके माता-पिता तो किसी तरह से तैयार हो गए, लेकिन अब सबसे बड़ी परीक्षा थी कि मां की फैमिली और पिता की फैमिली को कैसे समझाएं। मामा जी घर के हर फैसले में मां के साथ खड़े रहते हैं और ऊपर से वह हैं थोड़े पुरानी सोच के। उन्होंने पहले तो मना कर दिया क्योंकि शालिनी से अमित की हाइट कम थी फिर भी शालिनी के कहने पर वह और शालिनी के पिता अमित की फैमिली से मिलने आएं।
जब वह अमित की फैमिली से मिलने दिल्ली आएं तो उनको सभी के व्यवहार में अपनापन लगा फिर क्या था मामा भी खुश और पापा भी खुश। अब घर आकर उन्होंने सबको मना लिया और शादी की तारीख तय होने लगी और वो दिन भी आ गया जब दोनों एक दूसरे के होने वाले थे। वो दिन था 22 फरवरी 2015।
अमित की फैमिली अपने-अपने रिश्तेदारों के साथ शादी के लिए कानपुर के लिए रवाना हो गए, क्योंकि शालिनी का यह सपना था कि वह अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ अपनी खुशियों को बांटे। हर तरफ बस खुशियां और चहल-पहल थी, हर किसी के चेहरे पर खुशी थी लेकिन कहते है न कि अगर कुछ अच्छा होने वाला होता है तो कोई न कोई जीवन में विलेन बनकर आ ही जाता है।
परिवार के कुछ सदस्यों से विलेन का काम किया और शादी रोकने की कोशिश की क्योंकि उन्हें अब लगा कि अमित शालिनी के लिए सही पार्टनर नहीं है। ऐसे में एक लड़की के दिल पर क्या बीतेगा किसी ने इस बारे में नहीं सोचा। लेकिन शालिनी ने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि अपने लिए स्टैंड भी लिया। उसने अमित से ही शादी करने के लिए कहा।
ऐसे हुई दोनों की शादी