कुरान में जिहाद 41 बार तो रहमत का 325 बार जिक्र-
उन्होंने बताया, “इस्लाम का सार यह है कि एक इंसान कैसे बेहतर जिंदगी जी सकता है और कैसे खुदा के करीब जा सकत है, कुरान में यह बताया गया है। कुरान में जिहाद शब्द 41 बार आया है, जो कि जंग नहीं बल्कि कोशिश के तौर पर आया है। रहमत 325 बार आया है। जिहाद दो तरह का होता है। जिहादे अकबर और जिहादे असगर। तलवार की लड़ाई सबसे छोटी है जिसे जिहादे असगर और खुद से लड़ना जिहादे अकबर कहलाता है। यानी हमें अपनी खामियों से लड़ना होता है जिसे जिहादे अकबर कहा जाता है।”