नई दिल्ली। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) ने इंजीनियरिंग कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों को कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान छात्रों को फीस भरने के लिए बाध्य करने और कर्मचारियों को वेतन नहीं देने के खिलाफ चेतावनी दी है और निर्देश दिया है कि इस दौरान अगर किसी को नौकरी से हटाया गया है तो उसे वापस लिया जाए। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तकनीकी शिक्षा नियामक को शिकायतें मिल रही हैं कि लॉकडाउन के दौरान कॉलेज छात्रों को फीस भरने के लिए बाध्य कर रहे हैं, कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं कर रहे हैं और उन्हें नौकरी से हटा रहे हैं। इन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए चेतावनी जारी की गई है। एआईसीटीई के सदस्य सचिव राजीव कुमार ने कॉलेजों को परामर्श जारी करते हुए कहा, ‘‘एआईसीटीई के संज्ञान में आया है कि कुछ संस्थान जोर दे रहे हैं कि छात्रों को लॉकडाउन के दौरान फीस भरनी चाहिए जिसमें नामांकन शुल्क भी शामिल है। यह स्पष्ट किया जाता है कि कॉलेजों एवं संस्थानों को तब तक फीस भरने के लिए जोर नहीं देना चाहिए जब तक कि लॉकडाउन खत्म नहीं हो जाता और सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह भी पता चला है कि कई संस्थानों ने अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को लॉकडाउन के समय वेतन का भुगतान नहीं किया है । साथ ही कुछ संस्थानों ने शिक्षकों एवं कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। यह स्पष्ट किया जाता है कि लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों के वेतन एवं अन्य बकाये जारी किए जाएंगे और अगर लॉकडाउन के दौरान किसी को नौकरी से हटाया गया है तो उसे वापस लिया जाएगा। इसका कड़ाई से अनुपालन किया जाए।’’ कोरोना वायरस के चलते देश में 24 मार्च से लॉकडाउन जारी है। बहरहाल, लॉकडाउन की घोषणा होने से कम से कम दस दिन पहले से कॉलेज बंद कर दिए गए थे और परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं। अब लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ा दिया गया है। भाषा नीरज नीरज नरेश नरेश 1604 1519 दिल्ली नननन