नई दिल्ली। केरल में त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड द्वारा संचालित स्कूलों में अरबी के शिक्षकों की कथित नियुक्तियों को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बुधवार को केरल सरकार पर जमकर हमला बोला। विहिप का दावा है कि इस पर वामपंथी सरकार की छाप है। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, "त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड त्रावणकोर कोचीन हिंदू धार्मिक संस्था अधिनियम, 1950 के तहत गठित किया गया है। इस बोर्ड में तीन सदस्य हैं, जिनमें से दो केरल के मंत्रिपरिषद के हिंदू सदस्यों और तीसरे सदस्य केरल विधान परिषद के हिंदू सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। इस प्रकार तीनों सदस्य सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार हैं।"
कुमार ने कहा कि अरबी भारतीय भाषा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि यह भारत के संविधान में भारतीय भाषाओं की अनुसूची में नहीं है। उन्होंने कहा, "'इस भाषा का अध्ययन ज्यादातर पवित्र कुरान को पढ़ने, समझने और याद रखने के लिए किया जाता है।"उन्होंने आगे कहा, "विद्यालयों में इस भाषा का शिक्षण मंदिरों में हिंदू भक्तों द्वारा दी जाने वाली धनराशि से प्रबंधित होता है, ऐसे में यह एक अनुचित खर्च है।"
विहिप ने इसे वापस लेने के लिए बोर्ड से आह्वान किया है और केरल के लोगों से भी इसके खिलाफ 'संघर्ष' करने को कहा है। विहिप ने सुझाव दिया है कि संस्कृत भाषा भारतीय 'आध्यात्मिक विरासत' का भंडार है और इसका शिक्षण त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड द्वारा संचालित स्कूलों में अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।