नई दिल्ली। देशभर के स्कूलों में भले ही ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में छात्रों को उनके पाठ्यक्रम की पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। स्कूल की किताबें उपलब्ध करवाने वाले अधिकांश स्टोर बंद हैं। जहां इक्का-दुक्का दुकानें खुली हैं, उनमें भी सभी पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं। देश के अन्य राज्यों समेत दिल्ली में भी स्कूली पुस्तकों एवं स्टेशनरी की दुकानें खोलने की मंजूरी दी जा चुकी है। सरकार द्वारा एकल दुकानों को स्वीकृति दिए जाने के बावजूद दरियागंज का अंसारी रोड इलाका, जहां बड़ी संख्या में पब्लिशिंग हाउस हैं, लगभग बंद है।
यहां मेडिकल, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र, इतिहास की किताबों के कई प्रसिद्ध स्टोर हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश अभी भी बंद हैं। दिल्ली समेत उत्तर भारत के अधिकांश प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों के भी कई पब्लिशर अंसारी रोड से अपने प्रतिष्ठान चलाते हैं। लेकिन पुस्तकों के ये सभी स्टोर फिलहाल बंद हैं।ऐसा ही हाल स्कूली किताबों की दिल्ली स्थित सबसे बड़ी मार्केट नई सड़क का है। पूरी नई सड़क मार्केट में फिलहाल स्टेशनरी की इक्का-दुक्का दुकानें खुल रही है, जबकि स्कूली पुस्तकों की दुकानें अभी भी यहां बंद पड़ी हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के मुताबिक, स्कूली पाठ्यक्रम से जुड़ी किताबों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने छात्रों के साथ हुई ऑनलाइन चर्चा में कहा था, एनसीईआरटी की किताबें सभी छात्रों को मुहैया हो सकें, इसके लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। किताबों की कोई कमी नहीं है। प्रत्येक राज्य में छात्रों को किताबें उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं और प्रत्येक राज्य में पर्याप्त पुस्तकें उपलब्ध करवाई गई हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय जहां पुस्तके उपलब्ध करवाने का दावा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर ऐसी पुस्तकें छात्रों तक पहुंचाने वाली दुकानों पर अभी तक ताले लटके नजर आ रहे हैं।दक्षिण दिल्ली स्थित लोधी रोड के एक प्राइवेट स्कूल के छात्र अनिकेत ने कहा, हमें व्हाट्सएप और यूट्यूब के जरिए ऑनलाइन क्लास दी जा रही हैं, लेकिन हमारे पास तैयारी करने के लिए न तो टेक्स्ट बुक हैं और न ही स्टडी बुक्स। मोबाइल पर स्टडी बुक का एक पेज भेजा जाता है, जिसे हमें अपनी नोटबुक में उतारना होता है। ये सब प्रक्रिया काफी जटिल और थका देने वाली है। प्रतिदिन मोबाइल पर भेजे जाने वाली इस सामग्री को क्रमवार बनाए रखना भी एक समस्या है।
फरीदाबाद के एक प्राइवेट स्कूल की अध्यापिका अनु राय ने कहा, पुस्तकें उपलब्ध न होने के कारण छात्रों को सचमुच काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हम फिलहाल मोबाइल के जरिए छात्रों को पाठ्यक्रम से जुड़ी थोड़ी-थोड़ी सामग्री रोज भेज रहे हैं, क्योंकि किसी भी विषय की पूरी पुस्तक एक बारी में भेजना संभव नहीं है।पाठ्यपुस्तकों के अलावा स्टेशनरी की अधिकांश दुकानें भी बंद हैं। कॉपी किताब की दुकानें दिल्ली के अलावा अन्य बड़े शहरों में भी अधिकांश स्थानों पर बंद हैं।
समस्या दुकानों के बंद रहने की ही नहीं है, जो दुकानें खुली है, वहां ग्राहक भी नहीं हैं।राष्ट्रीय राजधानी के नई सड़क कॉपी-किताबों की 100 से अधिक दुकानें हैं। यहीं पर स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले अनिल गुप्ता ने कहा, दिल्ली सरकार से अब दुकान खोलने की इजाजत मिल चुकी है, इसलिए हम काम पर लौट आए हैं। लेकिन स्टेशनरी के ग्राहक अभी भी बाजार में मौजूद नहीं हैं। दरअसल एक तो स्कूल बंद हैं, और फिर आज के माहौल में ज्यादातर छात्र और अभिभावक खतरा मोल लेकर बाजारों में आने को तैयार नहीं हैं।
कागज के अधिकांश व्यापारियों ने अभी अपने प्रतिष्ठान नहीं खोले हैं। कागज व्यापारियों के इस कदम का सबसे ज्यादा असर स्कूली छात्रों पर पड़ रहा है। कागज कारोबार बंद होने के कारण छात्रों को नोटबुक्स समेत अन्य प्रकार की स्टेशनरी मिलने में दिक्कतें पेश आ सकती हैं।