नई दिल्ली। लॉकडाउन के इस दौर में जहां छात्र घर पर रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, वही छात्रों के स्कूल परिसर कोरोनावायरस को रोकने की लड़ाई लड़ रहे हैं। देशभर में कुछ स्थानों पर तो कई विद्यालयों को सेना एवं सीमा सुरक्षा बल के जवानों को सौंप दिया गया है। इन विद्यालयों में क्वारंटाइन या फिर आइसोलेशन सुविधा स्थापित की गई है। सेना द्वारा अपने अधिकार में लिए गए इन स्कूलों में कोरोनावायरस के संदिग्ध रोगियों को क्वारंटाइन करने की व्यवस्था की गई है। कई स्थानों पर तो स्कूलों में सभी आवश्यक दवाओं के साथ डॉक्टरों की टीम भी मौजूद हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक, उत्तराखंड के जोशीमठ स्थित केंद्रीय विद्यालय को आइटीबीपी ने 26 मार्च को अपने अधीन लेकर इसे कोरोना संदिग्धों के लिए क्वारंटाइन सेंटर के रूप में तब्दील किया है। इसी तरह ग्वालियर के केंद्रीय विद्यालय नंबर 3 को कुमाऊं रेजिमेंट ने 1 अप्रैल से क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया है।
पंजाब में भी एक केंद्रीय विद्यालय डीबीएन शिखर को सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ ने क्वारंटाइन सेंटर में बदल दिया है। बीएसएफ की 89 बटालियन द्वारा स्थापित किए गए इस क्वारेंटाइन सेंटर में ऐसे लोगों को रखा गया है, जिन पर कोरोना पॉजिटिव होने का संदेह है।
देशभर में कई स्थानों पर केंद्रीय विद्यालयों को क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किए जाने के विषय पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, " केंद्रीय विद्यालय कोरोनावायरस से जारी इस लड़ाई में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं। देशभर में कई स्थानों पर केंद्रीय विद्यालयों का इस्तेमाल क्वारंटाइन सेंटर या फिर आइसोलेशन केंद्र के रूप में किया जा रहा है।"
हरिद्वार के निकट रुड़की में भी केंद्रीय विद्यालय नंबर 1 को भारतीय सेना की बंगाल इंजीनियरिंग विंग ने आइसोलेशन सेंटर में तब्दील किया है। देशभर में केंद्रीय विद्यालयों को सेना और बीएसएफ के अलावा स्थानीय प्रशासन द्वारा भी क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया जा रहा है। होशंगाबाद में स्थानीय डीएम ने केंद्रीय विद्यालय सिवनी मालवा को ऐसे ही एक क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया है।