नई दिल्ली। देश की नई शिक्षा नीति में अब छात्रों के समक्ष विज्ञान, कॉमर्स और आर्ट्स के रूप में सीमाएं नहीं होंगी। विज्ञान या इंजीनियरिंग के छात्र अपनी रुचि के मुताबिक, कला या संगीत जैसे विषयों का चयन कर सकते हैं। विभिन्न शिक्षण संस्थानों एवं छात्र इकाइयों ने नई शिक्षा नीति का स्वागत किया है।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इसे देश की आकांक्षाओं के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत को गढ़ने में महत्वपूर्ण बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहा है।
एबीवीपी की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, "भारतीय मूल्यों के अनुरूप तथा वैश्विक मानकों पर खरा उतरने योग्य शिक्षा नीति की आवश्यकता देश को लंबे समय से थी, जिन बड़े सुधारों की आवश्यकता भारत की जनता लंबे समय से कर रही थी, उन सुधारों पर सरकार ने ध्यान दिया है। हम आशा करते हैं कि ये परिवर्तन करोड़ों की संख्या वाले भारतीय छात्र समुदाय के सपनों को पंख देगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बिना किसी देरी के नए सुधार जमीनी स्तर पर संभव हों। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए अहर्निश कार्य करने वाले समिति के सभी सदस्यों तथा भारत सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद तथा अभिनंदन।"
वहीं, देशभर में 830 से अधिक विद्यालयों का संचालन करने वाली संस्था लीड स्कूल के संस्थापक सुमित मेहता ने कहा, "नई शिक्षा नीति में छात्रों को छोटी उम्र से शिक्षा प्रदान करने के महत्व को समझा गया है। छात्रों को विज्ञान, कॉमर्स, आर्ट्स जैसी सीमा-बाधाओं से दूर रखा गया है। साथ ही मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के विकल्प दिए गए हैं, जिससे शिक्षा रुचिकर एवं सरल हो सकेगी। हालांकि प्राथमिक स्तर पर भी छात्रों और अभिभावकों को शिक्षा की भाषा चुनने का विकल्प दिया जाना चाहिए।"
ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट ने भी नई शिक्षा नीति का समर्थन किया है। फ्रंट ने कहा, "देशहित में हम इस नीति का स्वागत करते हैं। इस क्षेत्र में बड़े सुधार के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य एजुकेशन सिस्टम को पूरी तरह बदलना है। अब उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक संस्था होगी।"